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बारह अंग सूत्र
कालक्कम चुयाणं जह य पुणो लद्धसिद्धिमग्गाणं अंतकिरिया चलियाणं च सदेव माणुस्स धीरकरण कारणाणि बोधण अणुसासणाणि गुण दोस दरिसणाणि दिट्ठते पच्चए य सोऊण लोगमुणिणो जहट्ठिय सांसणम्मि जरमरण णासणकरें आराहिय संजमा य सुरलोग पडिणियत्ता ओवेंति जह सासयं सिवं सव्वदुक्खमोक्खं, एए अणे य एवमाइअत्था वित्थरेण य । णायाधम्मकहासु णं परित्ता वायणा, संखेज्जा अणुओगदारा, जाव संखेज्जाओ संग्गहणीओ । से णं अंगट्टयाए छट्टे अंगे, दो सुयवखंधा, एगूणवीसं अज्झयणा, ते समासओ दुविहा पण्णत्ता तंजहा - चरिता य कप्पिया य । दस धम्मकहाणं वग्गा, तत्थ णं एगमेगाए धम्मकहाए पंच पंच अक्खाइयासयाई, एगमेगाएं अक्खाइयाए पंच पंच उवक्खाड्यासयाई, एगमेगाए उवक्खाइयाए पंच पंच अक्खाइय उवक्खाइयासयाइं एवमेव सपुव्वावरेणं अद्भुवाओ अक्खाइया कोडीओ भवतीति मक्खायाओ । एगूणतीसं उद्देसणकाला, एगूणतीसं समुद्देसणकाला, संखेज्जाइं पयसहस्साइं पयग्गेणं पण्णत्ता । संखेज्जा अक्खरा जाव चरणकरण परूवणया आघविज्जंति से तं णायाधम्मकहाओ ॥ ६ ॥
भक्त प्रत्याख्यान,
कठिन शब्दार्थ - णायाणं - ज्ञात अर्थात् उदाहरण रूप से, इहलोइयपरलोइय इड्डी विसेसा इहलौकिक पारलौकिक ऋद्धि विशेष, भोगपरिच्चाया भोगों का त्याग, सुयपरिग्गहा श्रुत परिग्रह- सूत्रों का ज्ञान, भत्तपच्चक्खाणाई पाओवगमणाई - पादपोपगमन संथारा, सुकुलपच्चायायाई सुकुल - उत्तम् कुल में जन्म लेना, विणय करण जिणसामि सासणवरे - तीर्थंकर भगवान् के विनयमूलक धर्म में, संजम पईपण पालण धिड़ मइ ववसाय दुब्बलाणं संयम की प्रतिज्ञा को पालने में दुर्बल बने हुए, तब णियम तवोवहाण रणदुद्धर भरभग्गय णिस्सहय णिसिद्वाणं - तप नियम तथा उपधान तप रूपी रण में संयम के भार से भग्न चित्त बने हुए, घोर परिसह पराजियाणंघोर परीषहों से पराजित बने हुए, सहपारद्ध रुद्ध सिद्धालय मग्ग णिग्गयाणं ज्ञान दर्शन चारित्र रूप मोक्ष मार्ग से पराङ्गमुख बने हुए विसयसुहतुच्छ आसावसदोसमुच्छियाणं. तुच्छ विषय सुखों की आशा के वशीभूत एवं मूच्छित बने हुए, विराहिय-चरित्त - णाणदंसण - जइगुण- विविहप्पयार- णिस्सारसुण्णयाणं - साधु के विविध प्रकार के आचार से शून्य और ज्ञान दर्शन चारित्र की विराधना करने वाले व्यक्तियों का, संसार - अपार दुक्खदुग्गइभवविविह परंपरापवंचा अपार संसार में नाना दुर्गतियों में अनेक प्रकार का
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CIVICCEDER
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