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समवाय ९९
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रेवती नक्षत्र है प्रथम जिनमें और ज्येष्ठा नक्षत्र है पर्यवसान अन्त में जिनके अर्थात् रेवती से लेकर ज्येष्ठा नक्षत्र तक १९ नक्षत्रों के ९८ तारा कहे गये हैं ॥ ९८ ॥
विवेचन - ताराओं की संख्या इस प्रकार है - रेवती के ३२, अश्विनी के ३, भरणी के ३, कृतिका के ६, रोहिणी के ५, मृगशिरा के ३, आर्द्रा का १, पुनर्वसु के ५, पुष्य के ३, अश्लेषा के ६, मघा के ७, पूर्वाफाल्गुनी के २, उत्तराफाल्गुनी के २, हस्त के ५, चित्रा का १, स्वाति का १, विशाखा के ५, अनुराधा के ४, ज्येष्ठा के ३, ये उन्नीस नक्षत्रों के सब तारे मिलाने पर कुल ९७ होते हैं। शास्त्रकार ९८ बतलाते हैं। अतः इस मूलपाठ की संगति बिठाने के लिये टीकाकार लिखते हैं कि - सूर्यप्रज्ञप्ति में अनुराधा नक्षत्र के ५ तारे बतलाये गये हैं. किन्तु समवायांग के चौथे समवाय में और ठाणाङ्ग (स्थानाङ्ग) के चौथे ठाणे में अनुराधा के ४ तारे बतलाये गये हैं। इसलिए यहाँ पर सूर्य प्रज्ञप्ति सूत्र के अनुसार अनुराधा नक्षत्र के ५ तारे गिनने चाहिए जिससे इन उन्नीस नक्षत्रों के ९८ ताराओं की संख्या ठीक मिल जाती है और शास्त्र के मूल पाठ की संगति भी ठीक बैठ जाती है।
निन्यानवां समवाय मंदरे णं पव्वए णवणउह जोयणसहस्साइं उठें उच्चत्तेणं पण्णत्ते। णंदण वणस्स णं पुरथिमिल्लाओ चरमंताओ पच्चथिमिल्ले चरमंते एस णं णवणउइं जोयणसयाई अबाहाए अंतरे पण्णत्ते एवं दक्खिणिल्लाओ चरमंताओ उत्तरिल्ले चरमंते एस णं णवणउइं.जोयणसयाइं अबाहाए अंतरे पण्णत्ते। उत्तरे पढमे सूरिय मंडले णवणउइं जोयण सहस्साइं साइरेगाइं आयाम विक्खंभेणं पण्णत्ते। दोच्चे सूरिय मंडले णवणउइं जोयण सहस्साइं साहियाइं आयाम विक्खंभेणं पण्णत्ते। तइए सूरिय मंडले णवणउइं जोयणसहस्साइं साहियाइं आयामविक्खंभेणं पण्णत्ते। इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अंजणस्स कंडस्स हेठिल्लाओ चरमंताओ वाणमंतर भोमेज विहाराणं उवरिमंते चरमंते एस णं णवणउइंजोयणसयाई अबाहाए अंतरे पण्णत्ते ॥ ९९ ॥
कठिन शब्दार्थ - णवणउइं जोयण सहस्साई - ९९ हजार योजन, अंजण कंडस्सअञ्जन काण्ड के, वाणमंतर भोमेज विहाराणं - भोमेयक - नगर के आकार आवासों में रहने वाले वाणव्यंतर देवों के क्रीडा स्थान ।
भावार्थ - मेरु पर्वत सम धरती तल से ९९ हजार योजन ऊंचा कहा गया है। नन्दन
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