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प्रकीर्णक समवाय
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भावार्थ - दूसरे तीर्थङ्कर श्री अजितनाथस्वामी के शरीर की ऊँचाई ४५० धनुष की थी । दूसरे चक्रवर्ती सगर राजा के शरीर की ऊंचाई ४५० धनुष की थी ॥ ४५० ॥
विवेचन - भावार्थ में स्पष्ट है।
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सव्वे वि णं वक्खार पव्वया सीआ सीओयाओ महाणईओ मंदरपव्वएणं पंच पंच जोयणसयाई उड्डुं उच्चत्तेणं, पंच पंच गाउयसयाइं उव्वेहेणं पण्णत्ता । सव्वे वि णं वासहर कूडा पंच पंच जोणसयाई उड्डुं उच्चत्तेणं, मूले पंच पंच जोयणसयाई विक्खंभेणं पण्णत्ता । उसभे णं अरहा कोसलिए पंच धणुसयाई उड्डुं उच्चत्तेणं होत्था । भरहे णं राया चाउरंत चक्कवट्टी पंच धणुसयाई उड्डुं उच्चत्तेणं होत्था । सोमणस गंधमादण विज्जुप्पभ मालवंता णं वक्खार पव्वया णं मंदरपव्वए णं पंच पंच जोयणसयाई उड्डुं उच्चत्तेणं, पंच पंच गाउयसयाई उव्वेहेणं पण्णत्ता । सव्वे वि णं वक्खार पव्वय कूड़ा हरि हरिस्सह कूडवज्जा पंच पंच जोयणसयाई उड्डुं उच्चत्तेणं, मूले पंच पंच जोयणसयाइं आयामविक्खभेणं पण्णत्ता । सव्वे वि णं णंदणकूडा 'बलकूडवज्जा पंच पंच जोयणसयाई उड्डुं उच्चत्तेणं, मूले पंच पंच जोयणसयाई आयाम विक्खंभेणं पण्णत्ता । सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु विमाणा पंच पंच जोयणसयाई उड्डुं उच्चत्तेणं पण्णत्ता ॥ ५०० ॥
कठिन शब्दार्थ- पंच पंच जोयणसयाई
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५००-५०० योजन, सीया सीओयाओ महाणईओ - सीता, सीतोदा महानदियों के पास, वासहरकूडा वर्षधर कूट । भावार्थ सब वक्षस्कार पर्वत शीता शीतोदा महा नदियों के पास और मेरु पर्वत के पास ५००-५०० योजन के ऊंचे तथा ५००-५०० गाऊ कोस धरती में ऊंडे कहे गये हैं। सब वर्षधर कूट ५००-५०० योजन ऊंचे और मूल में ५००-५०० योजन विस्तृत - चौड़े कहे गये हैं। कौशलिक भगवान् ऋषभदेव स्वामी का शरीर ५०० धनुष ऊंचा था। प्रथम चक्रवर्ती भरत महाराजा का शरीर ५०० धनुष ऊंचा था। सोमनस, गन्धमादन, विद्युत्प्रभ और मालवंत नामक चार वक्षस्कार पर्वत मेरु पर्वत के पास ५००-५०० योजन ऊंचे और ५००-५०० गाऊ धरती में ऊंडे कहे गये हैं । हरि और हरिस्सह इन दो कूटों को छोड़ कर बाकी सभी वक्षस्कार पर्वत कूट ५००-५०० योजन ऊंचे और मूल में ५००-५०० योजन लम्बे चौड़े कहे गये हैं । बलकूट को छोड़ कर बाकी सभी नन्दन वन के कूट ५००-५०० योजन ऊंचे और मूल में ५००-५००
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