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समवायांग सूत्र aaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaanee
स्वामी ७५ हजार वर्ष गृहस्थवास में रह कर फिर मुण्डित होकर गृहस्थवास का त्याग कर प्रव्रजित हुए ॥ ७५॥
विवेचन - दसवें तीर्थङ्कर श्री शीतलनाथ स्वामी २५ हजार पूर्व कुमार अवस्था में रहे और ५० हजार पूर्व राज्य किया फिर उन्होंने दीक्षा ग्रहण की थी। १६ वें तीर्थङ्कर श्री शान्तिनाथ स्वामी २५ हजार वर्ष कुमार अवस्था में, २५ हजार वर्ष माण्डलिक और २५ हजार वर्ष चक्रवर्ती पद भोगकर फिर दीक्षित हुए और २५ हजार वर्ष श्रमण पर्याय का पालन कर सिद्ध बुद्ध मुक्त हुए। इस प्रकार सम्पूर्ण आयुष्य एक लाख वर्ष का था।
छिहत्तरवां समवाय छाबत्तरि विजुकुमारावाससयसहस्सा पण्णत्ता। एवं दीवदिसा उदहीणं विज्जुकुमारिद थणियमग्गीणं । छण्हं पि जुयलाणं, छावत्तरि सयसहस्साई ॥७६ ॥
कठिन शब्दार्थ - दीव दिसा उदहीणं, विजुकुमारिद थणियमग्गीणं । छहं पि जुयलाणं (जुगलयाणं) - द्वीपकुमार, दिशाकुमार, उदधिकुमार, विद्युतकुमार, स्तनितकुमार और अग्निकुमार देवों के दो दो इन्द्रों के ।
भावार्थ - विद्युत्कुमार देवों के ७६ लाख भवन कहे गये हैं। इसी तरह द्वीपकुमार, दिशाकुमार, उदधिकुमार, विद्युत्कुमार, स्तनितकुमार और अग्निकुमार देवों के दो दो इन्द्रों के . छहत्तर लाख, छहत्तर लाख भवन कहे गये हैं ॥ ७६ ॥ विवेचन - दीवदिसाउदहीणं, विजुकुमारिदथणियमग्गीणं ।
छण्हं पि जुगलयाणं, छावत्तरिसयसहस्साइं॥ अर्थ - जिस प्रकार विद्युत्कुमार देवों के आवास ७६ लाख हैं। उसी प्रकार द्वीपकुमार, दिशाकुमार, उदधिकुमार, विद्युत्कुमार, स्तनितकुमार और अग्निकुमार इन कुमारों के दक्षिण और उत्तरनिकाय के भेद से एक एक निकाय में ७६-७६ लाख भवन हैं।
सत्तहत्तरवां समवाय भरहे राया चाउरंतचक्कवट्टी सत्तहत्तरि पुष्वसयसहस्साई कुमारवासमझे वसित्ता महारायाभिसेयं संपत्ते। अंगसाओ णं सत्तहत्तरं रायाणो मुंडे भवित्ता जाव
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