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समवायांग सूत्र womewwwmummmmmmmmmmmmmwwmoewnewwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwmIONORMATION सागरोवमाई ठिई पण्णत्ता। असुरकुमाराणं देवाणं अत्यंगइयाणं एक्कतीसं पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता। सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगइयाणं देवाणं एक्कतीसं पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता। विजय वेजयंत जयंत अपराज़ियाणं देवाणं जहण्णेणं एक्कतीसं सागरोवमाइं ठिई पण्णत्ता। जे देवा उवरिमउवरिम गेविजय विमाणेसु देवत्ताए उववण्णा तेसिणं देवाणं उक्कोसेणं एक्कतीसं सागरोवमाइं ठिई पण्णत्ता। ते णं देवा एक्कतीसेहिं अद्धमासेहिं आणमंति वा पाणमंति वा उस्ससंति वा णीससंति वा। तेसिणं देवाणं एक्कतीसेहिं वाससहस्सेहिं आहारट्टे समुप्पजइ। संतेगइया भवसिद्धिया जीवा जे एक्कतीसेहिं भवग्गहणेहिं सिज्झिस्संति बुझिस्संति जाव सव्वदुक्खाणमंतं करिस्संति ॥ ३१ ॥ ___कठिन शब्दार्थ - सिद्धाइगुणा - सिद्धादिगुण-सिद्ध भगवान् आदि (प्रथम समय) के गुण, खीणे - क्षय, थीणद्धी - स्त्यानगृद्धि, धरणितले - पृथ्वी पर, परिक्खेवेणं - परिक्षेप-परिधि, इहगयस्स मणुस्सस्स - इस भरत क्षेत्र में रहे हुए मनुष्य के। - भावार्थ - सिद्ध भगवान् के इकतीस गुण कहे गये हैं। ज्ञानावरणीय आदि आठ कर्मों का सर्वथा क्षय कर जो सिद्धिगति में विराजमान हैं वे सिद्ध कहलाते हैं। ज्ञानावरणीय आदि आठ कर्मों की इकतीस प्रकृतियाँ हैं। सिद्ध भगवान् ने इन प्रकृतियों का सर्वथा क्षय कर दिया है। इसलिए उनमें क्षय से उत्पन्न होने वाले इकतीस गुण होते हैं। वे इस प्रकार हैं१. आभिनिबोधिक यानी मति ज्ञानावरण का क्षय, २. श्रुत ज्ञानावरण का क्षय ३. अवधि ज्ञानावरण का क्षय ४. मनःपर्यय ज्ञानावरण का क्षय ५. केवल ज्ञानावरण का क्षय ६. चक्षु दर्शनावरण का क्षय ७. अचक्ष दर्शनावरण का क्षय ८. अवधि दर्शनावरण का क्षय ९. केवल दर्शनावरण का क्षय, १०. निद्रा का क्षय ११. निद्रानिद्रा का क्षय १२. प्रचला का क्षय १३. प्रचला प्रचला का क्षय १४. स्त्यानगृद्धि का क्षय १५. सातावेदनीय का क्षय १६. असाता वेदनीय का क्षय १७. दर्शनमोहनीय का क्षय १८. चारित्र मोहनीय का क्षय १९. नरक आयु का क्षय २०. तिर्यञ्च आयु का क्षय २१. मनुष्य आयु का क्षय २२. देव आयु का क्ष' २३. उच्च गोत्र का क्षय २४. नीच गोत्र का क्षय २५. शुभ नाम का क्षय २६. अशुभ नाम का क्षय २७. दानान्तराय का क्षय २८. लाभान्तराय का क्षय २९. भोगान्तराय का क्ष ३०. उपभोगान्तराय का क्षय ३१. वीर्यान्तराय का क्षय। पृथ्वी पर मेरु पर्वत की परिधि ३१६२३ योजन में कुछ कम कही गई है। सूर्य के १८४ मंडल कहे गये हैं उनमें से जब सूर्य
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