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नाम
१२. भूयवाई (भूतवादी) १३. कंदे (कंदित)
१४. महाकंदे (महाकंदित)
समवाय ३३
दक्षिण का इन्द्र
ईश्वर
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उत्तर का इन्द्र
महेश्वर
विशाल
रति
सुवत्स
हास
१५. कुह्मांड (कुष्माण्ड )
श्वेत
महाश्वेत
१६. पयंग (पतंग)
पतंग
पतंग गति
यह बत्तीसवाँ समवाय है इसलिये बत्तीस इन्द्रों के नाम दिये हैं। वाणव्यन्तर देवों के बत्तीस इन्द्रों के नाम मूल पाठ में नहीं दिये हैं। इस विषय में तो टीकाकार ने लिखा है कि - ये अल्प ऋद्धिवाले हैं। इसलिये यहाँ इनको गौण कर दिया गया है।
बत्तीस प्रकार का नाटक तथा उनका अभिनय और विषय वस्तु पात्र आदि का विस्तृत वर्णन राजप्रश्नीय सूत्र में है ।
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तेतीसवां समवाय
तेत्तीस आसायणाओ पण्णत्ताओ तंजहा - १. सेहे राइणियस्स पुरओ गंता भवइ आसायणा सेहस्स २. सेहे राइणियस्स सपक्खं गंता भवइ आसायणा सेहस्स ३. सेहे राइणियस्स आसण्णं गंता भवइ आसायणा सेहस्स ४. सेहे राइणियस्स पुरओ चिट्ठित्ता भवइ आसायणा सेहस्स ५. सेहे राइणियस्स सपक्खं चिट्ठित्ता भवइ आसाणा सेहस्स ६. सेहे राइणियस्स आसण्णं चिट्ठित्ता भवइ आसायणा सेहस्स ७. सेहे राइणियस्स पुरओ णिसीइत्ता भवइ आसायणा सेहस्स ८. सेहे राइणियस्स सपक्खं णिसीइत्ता भवइ आसायणा सेहस्स ९. सेहे राइणियस्स आसण्णं णिसीइत्ता भवइ आसायणा सेहस्स १०. सेहे राइणिएणं सद्धिं बहिया वियारभूमिं णिक्खते समाणे तत्थ सेहे पुव्वतरागं आयमइ पच्छा राइणिए भव आसायणा सेहस्स ११. सेहे राइणिएणं सद्धिं बहिया वियारभूमिं वा विहारभूमिं वा णिक्खते समाणे तत्थ सेहे पुव्वतरागं आलोएइ पच्छा राइणिए भवइ आसायणा सेहस्स १२. केइ राइणियस्स पुव्व संलवित्तए सिया, तं सेहे पुव्वतरागं आलवइ पच्छा राइणिए भवइ आसायणा सेहस्स १३. सेहे राइणियस्स राओ वा वियाले वा वाहरमाणस्स अज्जो ! के सत्ता के जागरा ? तत्थ सेहे जागरमाणे राइणियस्स अपडिसुणित्ता भवइ आसायणा
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