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समवायांग सूत्र
बारस सागरोवमाइं ठिई पण्णत्ता । ते णं देवा बारसहं अद्धमासाणं आणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा णीससंति वा । तेसिणं देवाणं बारसहिं वाससहस्सेहिं आहारट्ठे समुप्पज्जइ। संतेगइया भवसिद्धिया जीवा जे बारसहिं भवग्गहणेहिं सिज्झिस्संति बुज्झिस्संति जाव सव्वदुक्खाणमंतं करिस्सति ॥ १२ ॥
कठिन शब्दार्थ - बारस, दुवालस- बारह, भिक्खुपडिमा भिक्षु पडिमा मासियाएक मास की, सत्त राइंदिया सात दिन रात की, अंजलिपग्गहे - अञ्जलिप्रग्रह, णिकाए - निकाचन- निमंत्रण, अब्भुट्ठाणे - अभ्युत्थान, किइकम्मस्स करणे - कृतिकर्म करण - विधि पूर्वक वन्दना, समोसरणं समवसरण, सण्णिसिज्जा- सन्निषद्या - आसन आदि देना, कहाए पबंधणे कथा - प्रबन्ध, किइकम्मे कृति कर्म, दुवालसावत्ते - बारह आवर्तन, जहाजायं - यथा जात, दुओणयं दो बार नमन, चउसिरं चार शिर, तिगुत्तं त्रिगुप्त, दुप्पवेसं - दो बार प्रवेश, एगणिक्खमणं - एक निष्क्रमण, वेइया - वेदिका, थूभियग्गाओ - स्तूपिकाग्र - चूलिका के अग्रभाग से, ईसि ईषत् ।
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भावार्थ - भिक्षुपडिमा यानी साधु के अभिग्रह विशेष बारह कहे गये हैं, वे ये हैं - १. एकमासिकी भिक्षुपडिमा - पहली पडिमाधारी साधु के एक दत्ति अन्न की और एक दत्ति पानी की लेना कल्पता है। इसका समय एक मास का है।
२. द्विमासिकी भिक्खुपडिमा इसमें दो दत्ति अन्न की और दो दत्ति पानी की लेना कल्पता है। इसका समय एक मास है।
३. त्रिमासिकी भिक्खुपडिमा इसमें तीन दत्ति अन्न की और तीन दत्ति पानी की लेना कल्पता है। इसका समय एक मास है।
४. चातुर्मासिकी भिक्खुपडिमा ग्रहण की जाती है । इसका समय एक ५. पञ्चमासिकी भिक्खुपडिमा ग्रहण की जाती है। इसका समय एक मास है।
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इसमें चार दत्ति अन्न की और चार दत्ति पानी की मास है।
इसमें पांच दत्ति अन्न की और पांच दत्ति पानी की
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६. षाण्मासिकी भिक्खुपडिमा
की जाती है। इसका समय एक मास है।
७. सप्तमासिकी भिक्खुपडिमा इसमें सात दत्ति अन्न की और सात दत्ति पानी की ग्रहण की जाती है। इसका समय एक मास है ।
८. आठवीं पडिमा का समय सात दिन रात का है। इसमें एकान्तर चौविहार उपवास
इसमें छह दत्ति अन्न की और छह दत्ति पानी की ग्रहण
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