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समवायांग सूत्र
द्वारा धमकाये या फटकारे जाने पर दुर्वचनों से होने वाला कष्ट। १३. वध परीषह - लकड़ी आदि से पीटे जाने पर होने वाला कष्ट १४. याचना परीषह - गोचरी में मांगने से होने . वाला कष्ट १५. अलाभ परीषह - वस्तु के न मिलने पर होने वाला कष्ट १६. रोग परीषह - रोग के कारण होने वाला कष्ट १७. तृणस्पर्श परीषह - तिनकों (घास-फूस) पर सोने से अथवा मार्ग में चलते समय तृण आदि पैर में चुभ जाने से होने वाला कष्ट १८. जल्ल परीषह - शरीर और वस्त्र में चाहे जितना मैल लगे किन्तु उद्वेग को प्राप्त न होना तथा स्नान की इच्छा न करना जल्ल-मल परीषह कहलाता है १९. सत्कार पुरस्कार परीषह - जनता द्वारा मान पूजा होने पर हर्षित न होते हुए समभाव रखना और मान पूजा के अभाव में खिन्न न होना सत्कार पुरस्कार परीषह है। २०. प्रज्ञा परीषह - प्रज्ञा यानी बुद्धि की तीव्रता होने पर गर्व न करना। २१. अज्ञान परीषह - अज्ञान यानी बुद्धि मन्द होने पर खिन्न (खेदित) न होना २२. दर्शन परीषह - दूसरे मत वालों का आडम्बर देख कर भी उसकी आकांक्षा नहीं करना अपितु अपने मत में दृढ़ रहना दर्शन परीषह है। स्वसमय यानी स्वसिद्धान्त की परिपाटी के अनुसार दृष्टिवाद के छिन्न छेद नय वाले बाईस सूत्र हैं। आजीविक सूत्र परिपाटी यानी गोशालक मतानुसार बाईस सूत्र अछिन्न छेद नय वाले हैं। त्रैराशिक सूत्र परिपाटी के अनुसार बाईस सूत्र तीन नय वाले हैं। स्व समय सूत्र परिपाटी के अनुसार बाईस सूत्र चार नय वाले हैं। बाईस प्रकार के पुद्गल परिणाम कहे गये हैं। वे इस प्रकार हैं - १. कृष्ण वर्ण पुद्गल परिणाम २. नील वर्ण पुद्गल परिणाम ३. रक्त वर्ण पुद्गल परिणाम ४. हारिद्र यानी पीतवर्ण पुद्गल परिणाम, ५. शुक्ल वर्ण पुद्गल परिणाम ६. सुरभि गन्ध पुद्गल परिणाम ७. दुरभिगन्ध पुद्गल परिणाम ८. तिक्त रस पुद्गल परिणाम ९. कटुक रस पुद्गल परिणाम १०. कषैला रस पुद्गल परिणाम ११. अंबिल यानी खट्टा रस पुद्गल परिणाम १२. मधुर रस पुद्गल परिणाम १३. कर्कश स्पर्श पुद्गल परिणाम १४. मृदु स्पर्श पुद्गल परिणाम १५. गुरु स्पर्श पुद्गल परिणाम १६. लघु स्पर्श पुद्गल परिणाम १७. शीत स्पर्श पुद्गल परिणाम १८. उष्ण स्पर्श पुद्गल परिणाम १९. स्निग्ध स्पर्श पुद्गल परिणाम २०. रूक्ष स्पर्श पुद्गल परिणाम २१. अगुरुलघु स्पर्श पुद्गल परिणाम २२. गुरु लघु स्पर्श पुद्गल परिणाम। इस रत्नप्रभा नामक पहली नरक में कितनेक. नैरयिकों की स्थिति बाईस पल्योपम की कही गई है। तमःप्रभा नामक छठी नरक में नैरयिकों की उत्कृष्ट स्थिति बाईस सागरोपम की कही गई है। महातमः प्रभा नामक सातवीं नरक में नैरयिकों की जघन्य स्थिति बाईस सागरोपम की कही गई है। असुरकुमार देवों में कितनेक देवों की स्थिति बाईस पल्योपम की कही गई है। अच्युत नामक
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