________________
समवाय६
२५
निर्जरा - कर्मों का कुछ अंश में क्षय (क्षपणा) होना निर्जरा कहलाती है। कर्मों का सर्वथा क्षय हो जाना मोक्ष है। . समिति - एकाग्र परिणाम पूर्वक की जाने वाली आगमोक्त सम्यक् प्रवृत्ति समिति कहलाती है। ये ईर्यासमिति आदि पांच प्रकार की है।
अस्तिकाय - 'अस्ति' शब्द का अर्थ प्रदेश है और काय का अर्थ है 'राशि' । प्रदेशों की राशि वाले द्रव्यों को ‘अस्तिकाय' कहते हैं। धर्मास्तिकाय आदि पांच अस्तिकाय हैं। नक्षत्र, स्थिति और उच्छ्वास आदि सूत्रों का अर्थ स्वतः सरल है।
छठा समवाय छ लेसाओ पण्णत्ताओ तंजहा-किण्हलेसा णीललेसा काउलेसा तेउलेसा पम्हलेसा सुक्कलेसा। छ जीव णिकाया पण्णत्ता तंजहा-पुढवीकाए आउकाए तेउकाए वाउकाए वणस्सइकाए तसकाए। छव्विहे बाहिरे तवोकम्मे पण्णत्ते तंजहाअणसणे ऊणोयरिया वित्तिसंखेवो रसपरिच्चाओ कायकिलेसो संलीणया । छविहे अभिंतरे तवोकम्मे पण्णत्ते तंजहा-पायच्छित्तं विणओ वेयावच्चं सज्झाओ झाणं उस्सग्गो। छह छाउमत्थिया समुग्धाया पण्णत्ता तंजहा-वेयणा समुग्घाए कसाय समुग्घाए मारणंतिय समुग्घाए वेउव्विय समुग्घाए तेय समुग्घाए आहारग समुग्घाए। छव्विहे अत्थुग्गहे पण्णत्ते तंजहा-सोइंदिय अत्थुग्गहे, चक्खुइंदिय अत्थुग्गहे, घाणिंदिय अत्थुग्गहें, जिब्भिंदिय अत्थुग्गहे, फासिंदिय अत्थुग्गहे, णोइंदिय अत्थुग्गहे । कत्तिया णक्खत्ते छ तारे पण्णत्ते। असिलेसा णक्खत्ते छ तारे पण्णत्ते। इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगइयाणं णेरइयाणं छ पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता। तच्चाए णं पुढवीए अत्थेगइयाणं णेरइयाणं छ सागरोवमाई ठिई पण्णत्ता। असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगइयाणं छ पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता। सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगइयाणं देवाणं छ पलिओवमाइं ठिई पण्णत्ता। सणंकुमारमाहिंदेसु कप्पेसु अत्थेगइयाणं देवाणं छ सागरोवमाइं ठिई पण्णत्ता। जे देवा सयंभू सयंभूरमणं घोसं सुघोसं महाघोसं किट्ठियोसं वीरं सुवीरं वीरगयं वीरसेणियं वीरावत्तं वीरप्पभं वीरकंतं वीरवण्णं वीरलेसं वीरज्झयं वीरसिंगं वीरसिटुं वीरकूडं वीरुत्तरवडिंसगं विमाणं देवत्ताए उववण्णा
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org