________________
बुद्ध स्त्रैण हैं पर वे दुर्बल नहीं हैं। या दुर्बलता की एक अपनी शक्ति होती है जो किसी शक्ति में कभी नहीं हो सकती। एक बच्चा दुर्बल होता है, लेकिन बच्चे में वह शक्ति होती है, जो किसी प्रौढ़ व्यक्ति में नहीं हो सकती।
चट्टान बहुत शक्तिशाली होती है। चट्टान के एकदम किनारे ही कोई फूल होता है- बहुत कमजोर । लेकिन फूल के पास एक शक्ति होती है जो किसी चट्टान के पास कभी नहीं हो सकती । निश्चित रूप से फूल कमजोर होता है सुबह को वह खिलता है, आता है, शाम तक वह जा चुका होता है। इतना अस्थायी होता है वह! वह इतना अल्पकालिक होता है। इतना क्षणिक लेकिन फूल में एक अलग प्रकार के आयाम की, एक अलग तरह की गुणवत्ता की शक्ति होती है - वह होता हैं जीवंत | वस्तुतः वह इतनी जल्दी मरता है, क्योंकि वह जीया होता है बहुत प्रगाढ़ता से जीवन की वही प्रगाढता उसे थका देती है शाम तक। चट्टान जीए चली जाती है क्योंकि वह जीती है बड़े कुनकुने ढंग से। वहां जीवन प्रगाढ़ नहीं होता बहुत निस्तेज होता है, ढीला-ढीला, उनींदा चट्टान सोती है, फूल जीता है।
हु
फूल में रहने वाली
सद्गुरु दुर्बल होता है एक निश्चित अर्थ में, क्योंकि उसकी दुर्बलता की एक अपनी शक्ति होती है। वह स्त्रैण होता है एक निश्चित अर्थ में क्योंकि सारी आक्रामकता जा चुकी है, सारी हिंसा तिरोहित हो चुकी है। पिता की भांति होने की अपेक्षा वह मां की भांति अधिक है। बात बहुत जटिल है, किसी के लिए जरूरी नहीं प्रेमी होना, लेकिन हर किसी के लिए जरूरी है प्रेम में होना ।
'मुझे नहीं लगता है कि मैं आपको प्रेमी के रूप में अनुभव कर सकूं। इतना ही लगता है कि आप मेरे लिए ठीक हैं। '
1
कितना ठंडापन, कितनी भावशून्यता! 'मात्र ठीक?' 'मात्र ठीक पर्याप्त नहीं होता जब तक मैं ठीक से कुछ ज्यादा नहीं होता तुम्हारे लिए तब तक कुछ नहीं घटेगा। मात्र ठीक होना तो बहुत गणितीय हो जाता है; मात्र ठीक पर्याप्त से कम है 'मात्र ठीक' का अर्थ हुआ कि मैं तुमसे मिलता हूं केवल बाह्य सतह पर केंद्र पर नहीं और जब तुम कहते हो कि आप मेरे लिए ठीक हैं, तो यह हृदय का संबंध नहीं हो सकता। यह तो केवल बुद्धि का हुआ-मतलबी, होशियार, चालाक, बचाव बनाये हुए, किनारेकिनारे, हृदय के खतरनाक संबंध में न बढ़ता हुआ, वरन सिर्फ बाहर-बाहर बन हुआ, हमेशा भागने को तैयार यही है मात्र ठीक' का अर्थ और मात्र ठीक के पास कोई ऊर्जा नहीं होती। वह बात होती है नितांत ठंडी।
तो यदि तुम इसमें से बाहर आकर विकसित नहीं हो सकते, तो बेहतर है कि मुझे छोड़ देना, क्योंकि कुछ नहीं घटेगा। तुम्हारे पास पर्याप्त ऊर्जा नहीं होती और यदि तुम मेरी ओर त्वरा से नहीं बढ़ रहे होते हो तो मैं तुम्हारी ओर नहीं बढ़ सकता। यह संभव नहीं; तुम्हें बढ़ना होता है।