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ली जाती है मां के द्वारा, तो बच्चा नहीं पा सकता आक्सीजन। कई बार मृत्यु तक भी संभव होती है; बच्चा मर सकता है। बच्चे को याद रहती हैं ये सारी बातें। तुम्हें भी याद हैं ये सब बातें, वे मौजूद हैं। लेकिन क्योंकि अहंकार नहीं था वहां, वे बातें तुम पर बोझ नहीं बनी हैं।
संबोधि को उपलब्ध व्यक्ति को चीजें याद रहती हैं इसी भांति। याद रखने को कोई केंद्र नहीं होता उसके पास। उसने संचित कर ली होती है स्मृति, लेकिन वह कोई बोझ नहीं है। यदि वह चाहता है, तो वह झांक लेता है स्मृति में और चीजें ढूंढ लेता है उसमें से, लेकिन वह बोझिल नहीं हुआ होता। स्मृतियां अपने से ही उस तक नहीं आ पहंचती हैं। वह जांच सकता है, वह चीजें पता कर सकता है, लेकिन सामान्यतया वह बना रहता है खाली आकाश की भांति। कोई चीज स्वयं ही नहीं आती।
तुम प्रभावित किए जाओगे तुम्हारे अपने अनुभव द्वारा, जो मैं कहता हूं उसके द्वारा नहीं। दुख की ओर देखना और सदा प्रयत्न करना कारण ढूंढने का, और तुम कारण पाओगे तुम्हारे स्वयं के भीतर। जैसे ही तुम जान लेते हो कि कारण भीतर है, तो रूपांतरण का बिंदु अपनी परिपक्वता तक पहुंच चुका होता है। अब तुम दिशा बदल सकते हो, अब तुम परिवर्तित हो सकते हो-तुम तैयार होते हो। जब तुम दूसरों पर जिम्मेदारी फेंकते जाते हो तो कोई परिवर्तन संभव नहीं होता है। जब तुम जान लेते हो कि तुम स्वयं जिम्मेदार हो उस तमाम दुख के लिए जिसे तुमने निर्मित किया है कि तुम स्वयं हो अपने नरक, तल्ला ही बड़ी क्रांति घटती है। तुरंत, तुम बन जाते हो स्वयं अपने स्वर्ग।
इसलिए मैं कहता हं तुम से संबंधों में उतरने के लिए, संसार में बढ़ने के लिए; अनुभव पाने के लिए परिपक्व होने के लिए, पकने के लिए, मंजने के लिए। केवल तभी जो कुछ मैं कह रहा हूं वह अर्थपूर्ण होगा तुम्हारे लिए। अन्यथा, बौद्धिक रूप से तुम समझ लोगे लेकिन अस्तित्वगत रूप से तुम चूक जाओगे।
पांचवां प्रश्न:
मुझे नहीं लगता है कि मैं आपको प्रेमी के रूप में अनुभव कर सकू इतना ही लगता है कि आप मेरे लिए ठीक हैं क्या पुराने अनुभव के कारण पुरुषों के प्रति बन गए मेरे अनिश्चित भावों के कारण ऐसा है? क्या उच्च स्तर के संबंध के लिए किसी पूर्व अपेक्षा के रूप में आपके साथ प्रेम में पडना होता है?