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बहुत बढ़ कर, वह वापस लौट आएगा तुम तक। तुम दब जाओगे लुढ़कते बोझ तले। यह मात्र मूढ़ता है, जड़ता है। सारे पाप मूढ़ताएं हैं और जड़ताएं हैं।
इसीलिए पूरब में हम केवल एक ही पाप जानते हैं, और वह है अज्ञान। और सब कुछ तो मात्र उसमें से आया उत्पादन होता है। जब मैं बोलता हूं प्रेम पर, तो मैं बोलता हूं उस प्रेम के बारे में जहां कि प्रेमी मौजद नहीं रहता। और यदि तम्हारा प्रेम तम तक दख ला रहा होता है, तो खब जान लेना कि यह प्रेम नहीं। यह तुम्हारा अहंकार है जो ले आता है दुख। अहंकार विषमय बना देता है हर चीज को, जो कुछ भी तुम छूते हो उसको। वह किंग मिडास की भांति है. जो कुछ भी वह छू लेता था वह बन जाता सोना। अहंकार है किंग मिडास की भांति ही-जो कुछ भी छू लेता है विष बन जाता है। और तुम जानते ही हो कि किन कठिनाइयों और मुसीबतों में जा पड़ा था मिडास। चीजें परिवर्तित हो रही थीं सोने में और फिर भी वह बन गया था दुखी, इतना दुखी जितना दुखी कोई इस पृथ्वी पर कभी नहीं हुआ है। उसने अपनी बेटी को छू लिया जिससे वह प्रेम करता था और वह बन गयी सोना। उसने छुआ अपनी पत्नी को और वह बन गयी सोना। वह भोजन को छूता और भोजन बन जाता सोना। वह पी नहीं सकता था, वह खा नहीं सकता था, वह प्रेम नहीं कर सकता था, वह चल-फिर नहीं सकता था। उसके अपने रिश्तेदार भाग गये। नौकर चाकर भी बहुत दूर खड़े रहते, क्योंकि यदि वे पास आते और संयोगवशात कहीं वह उन्हें छ लेता, तो वे सोने के बन जाते। किंग मिडास तो जरूर बिलकुल पागल ही हो गया होगा।
तो तुम्हारे साथ क्या है? जो कुछ तुम छूते हो बन जाता है विष। चाहे जब हर चीज सोना भी बन जाये तो भी नरक निर्मित हो जाता है। तुम क्या करते हो? तुम छूते हो और चीजें बन जाती हैं विषमय। तुम जीते हो दुख में, लेकिन तुम्हें ढूंढ लेना है इसका कारण। तुम्हारे भीतर ही है वह कारण. वह कर्ता, वह अहंकार, वह 'मैं'। लेकिन तुम्हें इसमें से गुजरना होगा। मेरे अनुभव से तुम नहीं सीख सकते।
झेन में कहते हैं कि पानी गर्म है या ठंडा, तुम केवल तभी जानते हो यदि तुम उसे पीते हो। मेरा कहना कि 'अहंकार हर चीज को विष में बदल देता है', बहुत मदद नहीं देगा। तुम्हें देखना होता है ध्यान से। तुम्हें रहना होता है खूब सतर्क। तुम्हें अनुभव करना पड़ता है और समझना पड़ता है तुम्हारे अपने अहंकार को–कि उसने क्या कर दिया होता है तुम्हारे साथ।
लेकिन अहंकार बहुत चालबाज होता है। जब कभी तुम दुख में होते हो वह सदा यही कह देता है कि कोई दूसरा है इसका कारण। यही तो चालाकी होती है जिस तरह अहंकार स्वयं को बचा लेता हऐ। यदि तुम दुख में होते हो, तुम कभी नहीं सोचते कि कारण तुम्ही हो। यह सदा कोई दूसरा होता है। पति दुख में है क्योंकि पत्नी निर्मित कर रही है दुख; पत्नी दुख में है क्योंकि पति निर्मित कर रहा है दुख; पिता दुख में है बेटे के कारण। अहंकार सदा जिम्मेदारी फेंक देता है दूसरे के ऊपर।