Book Title: Jain Dharma Darshan Ek Samikshatmak Parichay
Author(s): Mohanlal Mehta
Publisher: Mutha Chhaganlal Memorial Foundation Bangalore
View full book text
________________
जैन परम्परा का इतिहास . १६ की स्थापना की । वे 'कलिकालसर्वज्ञ' की उपाधि से विभूषित हुए। ___ दक्षिण में कदम्ब, गंग, राष्ट्रकुट, चालुक्य तथा होय्सल वंश के राजा जैनधर्म के अनुयायी थे। दिगम्बर और श्वेताम्बर :
महावीर के संघ में सचेलक तथा अचेलक दोनों ही प्रकार के साधु थे। 'सचेलक' और श्वेताम्बर शब्द एक ही अर्थ के द्योतक हैं तथा 'अचेलक' और दिगम्बर शब्द एक ही भाव व्यक्त करते हैं। श्वेताम्बर साधु श्वेत वस्त्र धारण करते हैं जबकि दिगम्बर सावु किसी भी प्रकार का वस्त्र नहीं पहनते। 'दिगम्बर' का शाब्दिक अर्थ होता है 'आकाश: वस्त्र' अर्थात् आकाश ही जिसका वस्त्र है। 'श्वेताम्बर' शब्द का अर्थ होता है सफेद वस्त्र यानी सफेद वस्त्र धारण करनेबाला। जम्बू के समय तक दोनों परम्पराएँ एक ही साथ थीं। बाद में इनका अपने-अपने धर्मनायकों के निर्देशन में . अलग-अलग धर्मपालन शुरू हुआ।
दिगम्बरों और श्वेताम्बरों की मान्यताओं में निम्नलिखित मुख्य भेद हैं :
१. दिगम्बर मान्यतानुसार मूल आगम अब बिल्कुल ही नहीं रह गये हैं परन्तु श्वेताम्बर मत से अभी भी बहुत से मूल आगमग्रन्थ सुरक्षित हैं।
२. दिगम्बरों के अनुसार सर्वज्ञ अर्थात् केवली पार्थिव भोजन ग्रहण नहीं करते लेकिन श्वेताम्बर इस मत को नहीं मानते।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
___www.jainelibrary.org