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गाथा परम विजय की
देखते-देखते मैदान खाली हो गया, सब अपने प्राण बचा कर भाग गए। बंदी बना हुआ अकेला रत्नचूल किंकर्तव्यविमूढ़ जैसा हो गया । मृगांक सेना से घिरा हुआ वह चारों तरफ देख रहा है-कोई भी सहायक नहीं है।
जम्बूकुमार ने व्योमगति से कहा-'बोलो, अब क्या करना है?'
व्योमगति ने जम्बूकुमार के बल को वर्धापित करते हुए कहा-'कुमार! अब क्या करना है? लड़ाई का मूल था रत्नचूल, वह बंदी बन गया। सेना भाग गई। अब करना कुछ नहीं है।'
'फिर भी कुछ तो करना है।'
'हां, पहले एक बार राजा मृगांक से मिल लें।'
व्योमगति ने सैनिकों को आदेश दिया - 'बंदी रत्नचूल का पूरा ध्यान रखो। इसको लेकर मृगांक के पास चलो।'
एक ओर हाहाकार, दूसरी ओर जय-जयकार | जहां राग-द्वेष है, वहां और क्या होता है ? यह जयजयकार भी कोई बहुत काम का नहीं होता । वस्तुतः जो जय अपने भीतर होती है, वही अच्छी होती है। बाहरी जय के पीछे तो हार जुड़ी रहती है। पता नहीं है कब जीत हार में बदल जाए। यह राग और द्वेष का मार्ग ऐसा विकट मार्ग है, जहां जय-पराजय- दोनों स्थितियां बराबर चलती रहती हैं।
रत्नचूल में कितना अहंकार था, कितना दर्प था और किस प्रकार उसने जम्बूकुमार की अवहेलना और अवमानना की थी! कितना अहंकारपूर्ण बोला था ! वह अब जम्बूकुमार को देखकर सोच रहा है - मैंने तो समझा था कि यह छोटा बच्चा है, नवयुवक है। अगर मुझे यह पता होता कि यह युवक इतना शक्तिशाली है तो मैं इसका तिरस्कार नहीं करता, इसे पहले अपना बना लेता । पर उस समय तो अहंकार प्रबल था । जब अहंकार प्रबल होता है तब कोई किसी को अपना बना नहीं पाता।
दुनिया में कोई तोड़ने वाला है तो वह है अहंकार । अहंकार सबको तोड़ देता है, दूसरों से अलगथलग कर देता है। अब चिंतन से क्या हो ? सैनिक रत्नचूल को लेकर मृगांक के सामने आए। वे राजा मृगांक का जय-जयकार कर रहे हैं और रत्नचूल के हृदय में शूलें चुभ रही हैं। मृगांक एक छोटा शासक, छोटा राजा, छोटा विद्याधर और रत्नचूल के सामने उसकी जय-जयकार हो - यह उसे कैसे सहन होता पर वह कर कुछ नहीं सकता था। विकट स्थिति बन गई।
तुष्टो मृगांकविद्याभृच्चक्रे जयजयावरम्। सर्वे विद्याधरास्तत्र शंसुर्जंबूकुमारकम्।।
एक ओर सिंहासन पर राजा मृगांक बैठा है, एक ओर बंदी रत्नचूल को बिठा दिया । सब लोग इकट्ठे हो गये।
मृगांक राजा आश्चर्य और हर्ष से आप्लावित है। अनेक प्रश्न उसके मन में उछल रहे हैं। एक साथ उसने अनेक प्रश्न प्रस्तुत कर दिए - यह कैसे हुआ ? रत्नचूल को किसने पराजित किया ? किसने बंदी बनाया? कौन है वह ?
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