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पड़ेगा। क्या करूं? इधर माता-पिता का आग्रह, उधर मेरे मन की चाह और संकल्पा मुझे मुनि बनना है, आत्मा का दर्शन करना है और मुझे केवली बनना है। मैं केवलज्ञान की आराधना करना चाहता हूं जो मुनि बने बिना संभव नहीं। घर-गृहस्थी के झंझट में इस चाह और संकल्प का सफल होना संभव नहीं है क्योंकि जहां घर है, संबंध है वहां आदमी मुक्त रह नहीं सकता। कभी इधर जाओ, कभी उधर जाओ। जब तक घर का संबंध है, आदमी संबंध मुक्त नहीं हो सकता। अनेक भाई-बहिन मुमुक्षु बन कर संस्था में प्रवेश कर लेते हैं पर घर का संबंध नहीं टूटता। अनेक बार चाहे-अनचाहे घूमना ही पड़ता है। एक भाई आया, बोला-'आचार्यश्री! मुमुक्षु बहन को लेने आए हैं?'
मैंने पूछा-'अभी क्यों? अभी तो अध्ययन चल रहा है।'
भाई बोला-'हमारे घर में शादी का बड़ा उत्सव है। सब परिवारजन आ रहे हैं इसलिए मुमुक्षु बहन को ले जाना चाहते हैं।'
संबंध टूटता नहीं है। ग्यारहवीं प्रतिमा का धारक श्रावक, जिसे श्रमण तुल्य, साधु तुल्य कहा गया है, वह पूरा जीवन साधु का सा जीता है फिर भी वह गृहस्थ है, उसे गृहस्थ की सारी क्रिया लग रही है। उसका प्रियता का संबंध छूटा नहीं है। उसके सारा कारोबार चल रहा है।
पूछा गया-'ग्यारहवीं प्रतिमा का धारक श्रावक, जो श्रमणभूत है, क्या उसके क्रिया लग रही है?' कहा गया-लग रही है।' 'क्यों लग रही है?' 'पेज्जबंधण अव्वोच्छिन्ने जो प्रेम का बंधन है, वह विच्छिन्न नहीं हुआ है।'
गृहस्थ गृहस्थ होता है और साधु साधु। साधु बने बिना मनःपर्यवज्ञान, केवलज्ञान संभव नहीं है। पचीस बोल सीखने वाले पांच ज्ञान को जानते हैं-१. मतिज्ञान, २. श्रुतज्ञान, ३. अवधिज्ञान, ४. मनःपर्यवज्ञान, ५. केवलज्ञान। मति, श्रुत-दोनों प्राप्त हो जाते हैं। अवधिज्ञान भी किसी विशिष्ट साधनाशील श्रावक को हो जाता है। आनन्द श्रावक जब धर्म जागरण कर रहा था, धर्म प्रज्ञप्ति की साधना कर रहा था, उसे अवधिज्ञान पैदा हो गया पर गृहस्थ को मनःपर्यवज्ञान नहीं होता। मनःपर्यवज्ञान अप्रमत्त साधु के ही हो सकता है। साधु जीवन की अप्रमत्त भाव से साधना किये बिना और क्षपक श्रेणी में गये बिना केवलज्ञान भी नहीं होता इसलिए मुनि बनना तो अनिवार्य है। ____ जम्बूकुमार के मन में एक विचित्र अंतर्द्वन्द्व उभर आयाएक ओर मुनि बनना, केवली बनना मेरे मन की चाह है, संकल्प है। दूसरी ओर माता-पिता का विवाह के लिए इतना आग्रह। मैं क्या करूं? अब तो कोई बीच का रास्ता निकालना होगा। कहीं-कहीं समन्वय करना होता है, बीच का रास्ता निकालना होता है। ____ वह मध्यमार्ग क्या होगा? क्या वह समन्वय-सूत्र माता-पिता को संतुष्ट कर सकेगा? जम्बूकुमार के अभिनिष्क्रमण में साधक बनेगा?
गाथा परम विजय की