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व्यक्ति डरता है तो डराने वाला उसके पीछे दौड़ता है। न डरे तो सामने वाला भी खड़ा रह जाता है। सामने सिंह आए, शिकारी कुत्ता आए। यदि व्यक्ति अभय है उससे आंख मिला लेता है, त्राटक कर लेता है तो सिंह कुछ भी नहीं कर पाता। यदि वह डर जाए, भागने लगे तो सिंह उसको मार डालता है। ____ जम्बूकुमार ने कथा सूत्र को आगे बढ़ाते हुए कहा-'प्रभव! वह व्यक्ति दौड़ा तो हाथी भी पीछे दौड़ा। व्यक्ति किसी तरह पेड़ पर चढ़ गया। हाथी मदोन्मत्त था। हाथी जब मदोन्मत्त होता है तब उसका रूप भयंकर होता है। उसने विशाल सूंड से वृक्ष को ऐसा हिलाया कि सारे वृक्ष को प्रकंपित कर दिया। जब अंधड़ आता है, वृक्ष प्रकंपित हो जाते हैं, गिर भी जाते हैं। जैसे ही हाथी ने वृक्ष को प्रकंपित किया, वह विशाल शाखा उसके हाथ से छूट गई। वह नीचे गिरा, गिरते समय एक शाखा पकड़ में आ गई। वह उस शाखा को पकड़कर नीचे लटक गया। नीचे था कुआं। कुएं में झांक कर देखा तो उसकी सांसें थम गईं। भयंकर जहरीले सांप मुंह बाए खड़े हैं।' ___ 'प्रभव! इस स्थिति में वह शाखा से लटक रहा है। नीचे है कुआं और कुएं में है भयंकर सांप। वे निगलने के लिए तैयार हैं। एक ओर वह हाथी वृक्ष को हिला रहा है दूसरी ओर जिस शाखा को पकड़ रखा है, उस शाखा को दो चूहे कुतर रहे हैं। चारों ओर मौत की परिस्थिति।' ____ 'प्रभव! इस मौत के प्रसंग में भी एक रस आ गया। जैसे ही हाथी ने वृक्ष हिलाया, मधुमक्खियों के छत्ते में छेद हो गया। शहद चूने लगा। उसका मुंह उसी छेद की ओर था। मुंह में एक रस की बूंद आकर
गाथा
गिरी।
परम विजय की
____ 'अरे! यह तो बहुत मीठी है। कहां से आई यह बूंद?' उसने ऊपर देखा तो ऊपर से मधु की बूंदें टपक रही हैं। उसने सारे दुःख को भुला दिया। वह रस में आसक्त हो गया। ___ 'प्रभव! तुम सोचो-क्या स्थिति है? इधर हाथी शाखा को हिला रहा है, नीचे कुआं है। कुएं में भयंकर सांप हैं। दो चूहे उस शाखा को कुतर रहे हैं, काट रहे हैं। क्या वह मृत्यु के मुख में नहीं है?'
'हां, कुमार! वह तो सचमुच मृत्यु की गोद में है।'
'प्रभव! इस भयंकर स्थिति में एक रस आ रहा है, शहद की बूंद आ रही है, मुंह में गिर रही है, वह उसका आस्वाद ले रहा है और बड़ा आनन्द मान रहा है।' ____ 'प्रभव! योग ऐसा मिला कि एक विद्याधर विमान में बैठकर जा रहा था। उसने इस स्थिति को देखा। मन में संवेदना जागी, करुणा आई। विद्याधर विमान को नीचे लाया और बोला-'भैया! तुम बड़े संकट में हो, दुःख में हो। आओ, इस विमान में बैठ जाओ। मैं तुम्हें सकुशल पहुंचा दूंगा।' ___वह बोला-'महाशय! आपने बड़ी कृपा की। मैं आपके सहयोग से इस विपत्ति से बच जाऊंगा पर तुम दो-चार क्षण ठहरो। शहद की एक-दो बूंद और आने दो। विद्याधर ठहर गया, कुछ क्षण बीते, उसने फिर कहा-अब चलो। वह पथिक बोला-नहीं, एक बूंद और आने दो। बड़ा मीठा है, बड़ा रस आ रहा है।' ____ 'प्रभव! वह मौत को भूल रस में इतना आसक्त हो गया कि विद्याधर का उसके जीवन को बचाने का स्वर भी आकर्षित नहीं कर सका। विद्याधर के मन में जो करुणा थी, वह सिमटने लगी। उसने सोचा-मैं
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