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गाथा परम विजय की
एम. ए. करता है फिर पीएच.डी. करता है तो थोड़ा समय लंबा लग जाता है। सोलह वर्ष तो ऐसे ही लग जाते होंगे फिर हायर एजूकेशन, उच्च शिक्षा में जाए तो कुछ विशेष समय लग सकता है। किन्तु साधना का क्रम तो ऐसा है कि उसमें सोलह, बीस अथवा तीस वर्ष का कोई लेखा नहीं होता। जिसकी जितनी संचित कर्म राशि है, उसको पूरा क्षीण करना होता है। जो पहले से संचित किया है, अर्जित किया है जब तक उसका शोधन नहीं होता तब तक भीतर का ज्ञान प्रगट नहीं होता। जम्बूकुमार बीस वर्ष तक इस साधना में लगे रहे। बीस वर्ष बाद साधना का काल पकने को आया तो ऐसा लगा कि प्रकाश प्रगट हो रहा है। साधना पकते-पकते, भेदज्ञान का परिपाक होते-होते ऐसा परिपाक हुआ, एक क्षण आया-'कसिणे पडिपुन्ने निरावरणे विसुद्धे केवलवरणाणदंसणे समुप्पन्ने'–कृत्स्न, प्रतिपूर्ण, निरावरण, विशुद्ध प्रवर केवलज्ञान और केवलदर्शन उत्पन्न हो गया।
एक ज्ञान होता है गृहीत और एक ज्ञान होता है उत्पन्न। एक वह ज्ञान, जो बाहर से पढ़ा जाता है, पुस्तकों से पढ़ा जाता है। वह गृहीत ज्ञान है, ग्रहण किया हुआ ज्ञान है, लिया हुआ ज्ञान है। एक ज्ञान होता है समुत्पन्न, जो भीतर से उपजता है, पैदा होता है। केवलज्ञान पढ़ाया नहीं जाता, उसकी कहीं पढ़ाई नहीं होती। हर विद्या शाखा की पढ़ाई होती है पर केवलज्ञान की कहीं कोई पढ़ाई नहीं होती। वह तो शोधन होते-होते भीतर से प्रगट होता है। एकदम ऐसा लगता है कि बादलों के भीतर सूरज छिपा हुआ था और सूर्य एकदम प्रगट हो गया, केवलज्ञान उत्पन्न हो गया।
जंबू केवली बन गये और साथ-साथ आचार्य भी बन गये। सोलह वर्ष तक गृहवास में रहे और बीस वर्ष तक मुनि अवस्था में छद्मस्थ रहे। छत्तीस वर्ष की अवस्था में जंबू केवली बने। सुधर्मा स्वामी का निर्वाण हुआ और जंबू स्वामी उनके उत्तराधिकारी बने। जंबू का शासन शुरू हो गया। ___ सुधर्मा और जंबू का संबंध इतना सघन और विशिष्ट रहा। आज कोई आगम साहित्य पढ़ता है, वह जानता है कि वहां जंबू स्वामी पूछ रहे हैं
और सुधर्मा उत्तर दे रहे है-एवं खलु जंबू ....। मुनि जम्बूकुमार ने बहुत जिज्ञासाएं की हैं। गौतम स्वामी ने भगवान महावीर से बहत प्रश्न पछे हैं किन्तु महावीर के विषय में बहुत जानकारी जम्बूस्वामी ने करवाई है। जंबू की जिज्ञासा होती–भगवान महावीर ने इस विषय में क्या कहा है? सूत्रकृतांग में भगवान महावीर ने क्या कहा? तब सुधर्मा का उत्तर होता-एवं खलु जंबू-जंबू! महावीर ने इस प्रकार कहा।
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