Book Title: Gatha Param Vijay Ki
Author(s): Mahapragya Acharya
Publisher: Jain Vishvabharati Vidyalay

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Page 397
________________ गाथा परम विजय की सामान्य प्रश्न था स्वाध्याय कहां करें, ध्यान कहां करें? इसका इतना विशद ज्ञान दिया है कि अपवित्र स्थान के पास बैठकर ध्यान करना अच्छा नहीं है, बाधा आयेगी। अमुक स्थान पर बैठकर ध्यान करना अच्छा नहीं है। पचासों ऐसे स्थान गिनाये हैं, जहां ध्यान नहीं करना चाहिए, स्वाध्याय नहीं करना चाहिए। ऐसे स्थान भी गिनाये हैं कि जहां बैठकर यह काम करना चाहिए। यह क्षेत्र का प्रभाव, द्रव्य का प्रभाव है। काल का प्रभाव होता है। किस काल में करना चाहिए, किस काल में नहीं करना चाहिए। मुनि कालिक सूत्रों की स्वाध्याय करता है। ठीक बारह बजे का समय या संध्याकाल का समय आए तो स्वाध्याय का क्रम बदल जायेगा। काल का भी एक नियम है, क्षेत्र का भी एक नियम है। ये सारी लब्धियां/शक्तियां विच्छिन्न हुईं, इसमें जंबू स्वामी तो निमित्त बने हैं किन्तु काल का परिवर्तन कारक तत्त्व बना है। काल का परिवर्तन होता है। एक काल ऐसा होता है कि आंतरिक विकास में सहायक बनता है और एक काल ऐसा आता है जो आंतरिक विकास में बाधक बन जाता है। भगवान ऋषभ के समय का एक वर्णन आता है। अग्नि पहले पैदा नहीं हुई। पृथ्वी, पानी, वनस्पति और वायु–ये तो थे पर अग्नि पैदा नहीं हुई थी। एक दिन अकस्मात् अग्नि पैदा हो गई। युगलों ने देखा कि यह क्या है। आग को देखते ही लोग भयाक्रांत हो गए। दौड़े-दौड़े भगवान ऋषभ के पास गये, बोले-भगवन्! कोई नई चीज ऐसी आ रही है, जो जंगलों को जला रही है, आगे बढ़ रही है। भगवान ने अवधिज्ञान का प्रयोग किया, देखा और समझ गए-अब अग्नि पैदा हो गई है। ___अग्नि अकस्मात् कैसे पैदा हुई? आचार्य बताते हैं-एकान्त स्निग्ध और एकान्त रूक्ष काल में अग्नि पैदा नहीं होती। पुरानी भाषा है स्निग्ध और रूक्ष। आज की भाषा में कहें तो पॉजीटिव और नेगेटिव, धन और ऋण। ये अलग होते हैं तो अग्नि पैदा नहीं होती। जब दोनों मिलते हैं, पॉजीटिव और नेगेटिव, धन और ऋण-दोनों का योग होता है तब अग्नि पैदा होती है। वह काल एकान्त स्निग्धता का काल था, इसलिए अग्नि पैदा नहीं हुई। जब रूक्ष साथ में जुड़ा, स्निग्ध और रूक्ष का योग मिला, अग्नि पैदा हो गई। ___ काल का बड़ा प्रभाव होता है। जंबू स्वामी जिस काल में थे, वह चौथा अर था और उसका बीतता हुआ समय था, अंतिम समय था। पांचवें अर का प्रारंभ होने वाला था। पांचवें अर का प्रभाव आया तो केवलज्ञान विच्छिन्न हो गया। अनेक लब्धियां विच्छिन्न हो गईं। शरीर की क्षमता नहीं रही कि जिनकल्प को स्वीकार कर सकें। अंतर्भावों की भी वह क्षमता नहीं रही कि केवलज्ञान को पा सकें या परमावधि और मनःपर्यवज्ञान को पा सकें। अहो कालस्य माहात्म्यम्-काल का प्रभाव बड़ा विचित्र होता है। जंबू स्वामी का निर्वाण, दस चीजों की विच्छित्ति और प्रभव के शासनकाल का प्रारंभ, श्रुतकेवली की परम्परा का सूत्रपात। ____ जंबू के निर्वाण के साथ एक युग सम्पन्न। प्रभव स्वामी से नये युग का प्रारंभ, श्रुतकेवली के युग का प्रारंभ। यह एक आश्चर्यकारी घटना है जो एक दिन चोरों का सरदार था, वह आज पूरी जैन परम्परा का एक मात्र आचार्य है। श्रुतकेवली-ज्ञान की विशाल राशि का संवाहक। कितनी विशाल ज्ञानराशि। कितना बड़ा है पूर्वो का ज्ञान। पहले पूर्व से चले। उपमा दी गई। अंबाबाड़ी सहित हाथी, इतनी स्याही। इतनी स्याही

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