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गाथा परम विजय की
वह सुधर्मा का समय था। चौथा अर था इसीलिए केवल थोड़ा-सा ऊहापोह हुआ। अगर आज ऐसा हो जाये, किसी चोर को दीक्षा दे दें तो बवंडर हो जाये। समाचार-पत्रों में ऐसे समाचार छपे, एक के बाद एक न्यूज निकलती चली जाए और एक भयंकर वातावरण बन जाए। किन्तु समय का अन्तर होता है, देश का अन्तर होता है, चिन्तन का अन्तर होता है। थोड़ी बात तो हुई पर आगे नहीं बढ़ सकी।
सुधर्मा ने कहा-'देवानुप्रियो! दीक्षा लेना चाहते हो?' सब खड़े हो गये, बोले-'हां, दीक्षा लेना चाहते हैं।'
पुरानी प्रथा अलग थी, पद्धति अलग थी। सुधर्मा ने कहा-'अहासुहं देवाणुप्पिया! मा पडिबंध करेहि-यथासुखम्! तुम्हारी दीक्षा लेने की इच्छा है तो विलम्ब मत करो।
एक साथ पूरी सेना खड़ी हो गई, ५२८ वैरागियों की एक पंक्ति खड़ी हो गई।
सुधर्मा स्वामी ने सबके आभामंडल को देखा। प्राचीन पद्धति रही है-गुरु किसी को शिष्य बनाता तो उसके आभामंडल को देख लेता। सुधर्मा स्वामी अतिशय ज्ञानी थे, सर्वज्ञ थे। अच्छा अनुभवी, जानकार गुरु होता है उसे भी पूछने की ज्यादा जरूरत नहीं पड़ती। वह आभामंडल को पढ़ लेता है। व्यक्ति का आभामंडल जितना प्रमाण होता है, मुंह की वाणी उतनी प्रमाण नहीं होती। यह व्यक्ति कैसा है? किस प्रकार रहेगा? इसका चरित्र कैसा है? इसका जीवन कैसा है? इसकी मनोवृत्ति कैसी है? इसकी भावधारा कैसी है? पूरा अध्ययन आभामंडल से हो जाता है। आभामंडल यानी लेश्या का चक्र। ____ छह लेश्याएं होती हैं-कृष्ण लेश्या, नील लेश्या, कापोत लेश्या, तेजोलेश्या, पद्मलेश्या और
शुक्ललेश्या। इन लेश्याओं का, एक पुद्गल का आभामंडल हर व्यक्ति के शरीर पर रहता है। जो व्यक्ति पवित्र मन, पवित्र विचार, पवित्र भावधारा वाला होता है उसका आभामंडल बहुत तेजस्वी, व्यापक और अच्छा होता है। एक व्यक्ति बैठता है तो उसके आभामंडल से पूरा कमरा भर जाता है। उसमें दूसरा कोई जाकर बैठता है तो उसको बड़ी शांति का अनुभव होता है और एकदम समाधान हो जाता है। ____ हम लोग सन् १९६४ में दिल्ली में थे। पूना से एक डॉक्टर आए जो आभामंडल विशेषज्ञ थे। उन्होंने प्रेक्षाध्यान का साहित्य पढ़ा, लेश्याध्यान और आभामंडल पुस्तक पढ़ी। पढ़ने के बाद स्वतः अभ्यास शुरू कर दिया। उसने कहा-'आचार्यश्री! मैं अब चिकित्सा करता हूं, निदान करता हूं। यंत्रों के सहारे नहीं रहता। मैं आभामंडल का फोटो लेता हूं। जैसे एक अंगूठे का फोटो लिया। उसका विश्लेषण करने से मुझे पता लग जाता है कि कौन-सी बीमारी है। यह निदान के प्रचलित स्रोतों से ज्यादा प्रभावी है। एक अंगुष्ठ के फोटो से बीमारी ध्यान में आ जाती है।' ___गुरुदेव की सन्निधि में एक दिन उनका वक्तव्य रखा गया। अपने वक्तव्य में उन्होंने एक बात कही-'गुरुदेव! आपके पास सैकड़ों महिलाएं बैठी रहती हैं, बोलती नहीं हैं। सेवा में महीनों तक रहती हैं
और एक शब्द भी बोलने का काम नहीं पड़ता। मूक भाव से बैठी रहती हैं। घंटा, दो घंटा बैठती हैं, चली जाती हैं। फिर भी उनको बड़ा सुख मिलता है। इसका कारण क्या है?' ___आज ही एक बहिन ने कहा-पांच-सात महीना हो गया। गुरुदेव के दर्शन नहीं हुए। मैं तो छटपटाने लग गई, मैंने कहा-मुझे जल्दी वहां ले जाओ।' यह क्या है?
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Posanimaamana
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