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गाथा परम विजय की
सूत्रकृतांग सूत्र में कहा गया-जाय पक्खा जहा हंसा पक्कमति दिशोदिशि-हंस के बच्चों को हंसिनी ने पाला-पोसा। जैसे ही पंख आये, पक्कमति दिशोदिशि-वे दिशाओं में स्वतंत्र उड़ जाते हैं। पता ही नहीं कि जीवन में कभी मिलते हैं। सुख-दुःख भी नहीं पूछते। आज की सामाजिक व्यवस्था, पश्चिमी देशों की व्यवस्था भी लगभग ऐसी हो रही है। पुत्र थोड़ा बड़ा हुआ, विवाह हो गया, काम सीख गया फिर कहीं अलग जाकर रहता है। शायद मां-बाप को संभालता ही नहीं होगा, पूछता भी नहीं होगा। ऐसा भी होता है कि पुत्र के घर पिता आयेगा तो होटल में ठहरेगा। घर में ठहरने का अवकाश नहीं है। उस समय यह चित्र नहीं था। उस समय की सामाजिक स्थितियां, सामाजिक मान्यताएं दूसरी थीं।
जम्बूकुमार ने कहा-'प्रभव! मैं उस दुनिया की बात कर रहा हूं जहां यह सिद्धांत है व्यक्ति अकेला पैदा होता है और अकेला मरता है। अकेला कर्म करता है और अकेला फल भोगता है।'
एक उत्पद्यते तनुमान् एक एव विपद्यते।
एक एव हि कर्म चिनुते सैककः फलमश्नुते।। 'प्रभव! तुम्हारी दुनिया अलग है और मेरी दुनिया अलग।'
'प्रभव! मैं तुम्हें एक घटना सुनाऊं। एक खाती बड़ा कुशल था। अपने कार्य में दक्ष था किन्तु उसे चोरी की लत लग गई। चोरी किए बिना रहा नहीं जाता। उसने सोचा-मैं अपने लड़के को भी यह कला सिखा दूं। एक दिन अपने पुत्र से बोला-'बेटा! चोरी में वही सफल हो सकता है, जो सेंध लगाना जानता है। यह कला मैं तुम्हें सिखाना चाहता हूं।'
बाप जिस धंधे में होता है, बेटा भी वह धंधा अनायास सीख जाता है। लड़का बोला-'अच्छा पिताजी!'
एक दिन रात्रि में वह खाती लड़के को साथ ले गया। एक सेठ का बड़ा घर देखा। वहां जाकर सेंध लगाई। सेंध लगाने से पूर्व खाती ने यह बता दिया देखो, सेंध लगाओ तो पहले भीतर सिर नहीं, पैर रखो। अगर कोई जाग भी जाए, पकड़ भी ले तो पैर को पकड़ेगा, सिर को काट नहीं पायेगा।' ___ खाती ने पैर भीतर दिए। योग ऐसा मिला कि भीतर कुछ लोग जग गये। जागृत लोगों ने पैरों को पकड़ लिया, जंजीरों से बांध दिया।
खाती बोला-'आज तो मैं बंध गया हूं। तुम चले जाओ। तुम्हें पहचान न ले।' लड़का घर पर आया, आकर मां को जगाया। मां ने पूछा-'क्या सीख लिया सेंध लगाना?'
'मां! आज तो गजब हो गया। पिताजी पकड़े गये।' 'अरे कैसे हुआ?' 'सेठ के पुत्रों ने पिताजी के पैर भीतर से बांध दिए।' मां बोली-'बेटा! जा, जल्दी जा, तलवार लेकर जा और पिता का सिर काट ले।' 'मां! ऐसा काम मैं नहीं कर सकता।' 'पुत्र! अगर तुम यह नहीं करोगे तो हम सब मारे जाएंगे।'
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