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पूज्य गुरुदेव कोलकाता यात्रा संपन्न कर राजस्थान की ओर पधार रहे थे। रास्ते में एक शहर में एक न परिवार के यहां ठहरे। वहां कुछ सेना के अधिकारी आए। गुरुदेव ने बातचीत शुरू की, इतने में घर के गलिक आए, गुरुदेव को वंदना कर धीरे से अंगूठा दबाने लगे। गुरुदेव ने पूछा-'बोलो भाई! क्या बात है।' ____ वह धीमे से बोला-'महाराज! आप किनसे बात कर रहे हैं। ये तो शराबी आदमी हैं।' गुरुदेव ने बात
न ली पर वार्तालाप जारी रखा। गुरुदेव ने प्रसंगवश कहा-'आपमें कोई नशा तो नहीं है?' ____ 'महाराज! एक शराब का नशा तो है।' ____ गुरुदेव ने उन्हें समझाया, वे खड़े होकर बोले-'अब हमें शराब पीने का त्याग दिला दो।' वे त्याग
कर चले गये। ___गुरुदेव ने उन सेठजी से पूछा-'सेठजी! बोलो आप कोई बुराई तो नहीं करते? तोल-माप में कमी और आद्य पदार्थों में मिलावट तो नहीं करते?' 'महाराज! हम तो गृहस्थ हैं। इसके बिना तो काम कैसे चले?' गुरुदेव ने कहा-'शराब पीते थे वे तो बदल गए लेकिन आप....?' कभी-कभी ऐसा होता है कि एक सेठ साहूकार अपनी गलत आदतों का परिष्कार नहीं कर पाता और चोर-डाकू की चेतना रूपान्तरित हो जाती है। इसीलिए कहा जाता है-एक साहूकार के भीतर भी कोई र बैठा होता है और एक चोर-डाकू के भीतर भी कोई साहूकार छिपा रहता है। यदि सेठ-साहूकार के तर कोई चोर नहीं होता तो वह कभी गलत काम नहीं करता और यदि चोर-डाकू के भीतर कोई साहूकार में होता तो उसमें कभी बदलाव नहीं आ पाता। प्रभव के भीतर साहूकारिता थी, एक आभिजात्यता थी
र उसे जम्बूकुमार जागृत करने में सफल हो गया। ____ जम्बूकुमार ने सोचा-बहुत बड़ा काम हो गया। मैं अकेला था। आठ कन्याएं समझी तो नौ हो गए। व प्रभव दसवां है।
महल के भीतर तो सारा वातावरण बदल गया पर बाहर ५०० चोर खड़े हैं। नीचे माता-पिता और वार हैं। उनका क्या चिन्तन और दृष्टिकोण रहेगा?
क्या प्रभव का हृदय-परिवर्तन चोरों की हृदय-भूमि में वैराग्य के बीज का वपन कर पाएगा?
गाथा परम विजय की