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'मां! अब ये साहूकार बन गए हैं।'
'जम्बकमार! रहस्य की बात क्यों कर रहा है? साफ-साफ क्यों नहीं बताता कि ये कौन हैं? क्यों ? आए हैं।'
'मां! मैं तो साफ-साफ बात कह रहा हूं कि ये कभी चोर थे।' 'क्यों आए हैं?' 'चोरी करने आए हैं।' 'चोरी करने आए हैं?' 'हां, मां!' 'अब क्या होगा?'-मां ने यह कहते हुए गहरा निःश्वास छोड़ा।
'मां! धन में सबका हिस्सा होता है। इतना धन घर में आया है। हम इतने धन का क्या करेंगे? यह सारा हमारे तो काम आएगा नहीं।'
यदि कोई व्यक्ति अकेला धन को भोगना चाहे तो वह तनाव में जीयेगा या आर्तध्यान में जीयेगा। वह उसे भोग भी नहीं पायेगा। आगम वाङ्मय में इस प्रकार की घटना का उल्लेख है-एक बहुत लोभी, लालची आदमी था, वह हमेशा धन की ही चिन्ता करता, धन की सुरक्षा में दिन-रात लगा रहता। वह मरकर उसी घर में सांप हो गया। वह सर्पयोनि में भी उसी धन के पीछे घूमता रहता है।
गाथा ___ जम्बूकुमार ने कहा-'मां! हमने ही तो चोरों को निमंत्रण दिया है। इतने धन की जरूरत क्या थी? पर परम विजय की जब इतना धन आ गया तो ये चोर अपने आप आ गये।'
मां घबराई, पिता भी घबराया, बोला-'अरे! इतने चोर हैं। हमारा तो पता ही क्या चलेगा?'
जम्बूकुमार आश्वस्त करते हुए बोला-'मां! पिताश्री! घबराने की कोई जरूरत नहीं है। तुम चिंता मत करो। अब ये साहूकार बन गए हैं। तुम्हारे धन का कतरा भी नहीं लेंगे।'
माता-पिता ने संतोष की सांस ली।
जम्बूकुमार ने अपनी भावना को दोहराते हुए कहा-मां! अब तुम अपने वचन पर ध्यान दो। मेरी इच्छा नहीं थी कि मैं शादी करूं पर तुम्हारी प्रबल इच्छा थी, तुमने कहा था-जम्बूकुमार! एक बार शादी कर लो फिर चाहे मुनि बन जाना।' मैंने अनमने मन से तुम्हारी बात मान ली, विवाह कर लिया।' _ 'मां! मैंने कहा था पहले दिन विवाह होगा और....दूसरे दिन मैं साधु बनूंगा, अब मुझे आप
आज्ञा दें।'
यह सुनते ही मां को अपना सपना चूर होता-सा प्रतीत हुआ। मां ने सोचा था-पूरी रात सामने है। ये आठ पत्नियां जम्बूकुमार को समझा देंगी। जम्बूकुमार इनसे प्रभावित हो जायेगा और हमारा काम बन जायेगा किन्तु जम्बूकुमार बात तो अभी भी वही कर रहा है, जो परसों कर रहा था।
जम्बूकुमार बोला-'मां! मेरी एक बात सुनो
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