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बाल
किस आदमी पर करुणा कर रहा हूं? क्या यह करुणा और संवेदना का पात्र है? विद्याधर का मन क्षुब्ध हो उठा-यह कितना मूर्ख आदमी है। ऐसा मूर्ख मैंने कहीं देखा नहीं। मौत के मुंह में तो खड़ा है और कहता है-एक बूंद और आने दो।' ___बहुत सारे अज्ञानी लोग होते हैं, वे मरते समय भी कहते हैं-एक इंजेक्शन और लगा दो, एक दवा की पुड़िया और दे दो, एक ग्लूकॉज की शीशी और चढ़ा दो। वह यह नहीं सोचता कि मैं तो मर रहा हूं फिर इसका क्या करना है? काव्यशास्त्र में आता है मरने वाला व्यक्ति कहता है वैद्यजी के पास जाओ और एक चित्रक-बटी ले आओ। खाने के बाद भोजन ठीक से पच जायेगा। लोग इस कथन का उपहास करते हुए कहते हैं-अरे भाई! तू स्वयं मर रहा है, दम तोड़ रहा है और चित्रक-बटी की याचना कर रहा है।
यह आस्वाद का इतना मोह होता है कि मरणासन्न व्यक्ति से भी छूटता नहीं है।
'प्रभव! किसी भी क्षण मौत के मुंह में गिरने वाला वह पथिक कहता है-एक बंद और आने दो।'
'विद्याधर की करुणा क्षोभ में बदल गई। उसने विमान को
ऊपर उठाया और चला गया। पथिक ने आवाज भी दी-'अरे भाई! जाओ मत। मुझे लेकर जाओ।' किन्तु क्षुब्ध विद्याधर ने उसकी प्रार्थना को अनसुना कर दिया।
जैसे ही विद्याधर विमान को लेकर आगे बढ़ा, शाखा टूट गई। वह पथिक कुएं में गिरा और सांप का भोजन बन गया।
जम्बूकुमार ने कहा-'प्रभव! ये काम-भोग मधुबिन्दु के तुल्य हैं। मैं काम-भोग को, इंद्रिय तृप्ति को, इंद्रिय सुख को सर्वथा झुठला नहीं रहा हूं किन्तु तुम सोचो-यह थोड़ा सा सुख, एक बूंद का सुख कितने
व्रतरों से घिरा हुआ है, कितनी समस्याओं से घिरा हुआ है। इस सुख के पीछे दुःख कितना है।' ____ जम्बूकुमार ने मधु-बिन्दु के दृष्टांत के द्वारा एक जीवन्त चित्र प्रस्तुत कर दिया। उसने कहा-'प्रभव! म भोग के क्षणिक सुखों को महत्त्व दे रहे हो पर उसके साथ जुड़ी जो समस्याएं हैं, खतरे हैं, दुःख हैं, नको झुठला रहे हो। क्या यह उचित है?'
जम्बूकुमार के इस मर्मस्पर्शी कथन ने प्रभव को चिन्तन के लिए विवश कर दिया।
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गाथा परम विजय की