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संख्या में थे। ऐसा लगता है-लाखों-लाखों साधु बन रहे थे और साधु बनने की होड़-सी चल रही थी। बड़े-बड़े राजा, राजकुमार, श्रेष्ठीपुत्र-साधु बन रहे थे।
उस समय शायद समाजशास्त्रियों ने सोचा होगा इस प्रकार साधु बनते चले जाएंगे तो समाज का क्या होगा? समाज कैसे चलेगा? तब यह धारणा सामने आई-बिना संतान पैदा किए कोई साधु न बने। एक सिद्धांत विकसित किया गया अपुत्रस्य गति स्ति-पुत्र के बिना कोई गति नहीं होती। पुत्र का होना जरूरी है। आज विपरीत धारणा चल रही है। कहा जा रहा है परिवार नियोजन करो। समाज की स्थिति, मान्यता सदा एक जैसी नहीं रहती। उस समय यह अभिप्रेरणा थी-संतान पैदा करो और आज यह अभियान चल रहा है-परिवार का नियोजन करो। हिन्दुस्तान में परिवार नियोजन पर बल दिया जा रहा है। चीन में यह नियम हो गया-एक संतान पैदा करें, पुत्र या पुत्री। स्थिति भी गड़बड़ा गई, थोड़ी समस्या भी पैदा हो गई। परिवार नियोजन की बात इसलिए चल रही है कि आबादी बहुत बढ़ गई है। ये सामयिक सिद्धांत होते हैं, शाश्वत नहीं। परिस्थिति के अनुरूप नीति निर्धारित हो जाती है। आज भी जिन राष्ट्रों में आबादी कम है वहां परिवार-संवर्धन को प्रोत्साहन मिल रहा है। कहा जा रहा है-संतान ज्यादा पैदा करो। जो ज्यादा संतान पैदा करेगा उसको पुरस्कार दिया जायेगा। ये सामयिक मान्यताएं, लौकिक मान्यताएं, समय-समय पर बनतीबदलती रहती हैं। उस समय यह मान्यता थी-संतान पैदा किए बिना गति नहीं होती। ऐसा प्रतीत होता है कि उस युग में हर बात को धर्म के साथ जोड़ दिया जाता था। इसे भी धर्म के साथ जोड़ दिया गया अपुत्रस्य गति स्ति-बिना पुत्र के गति नहीं होती।
प्रभव बोलापुत्र नहीं कोई थारै, कुण राखसी थारौ नाम। पुत्र बिना लक्ष्मी महलायता, ए सगळा छै बैकाम।। पुत्र बिना घर सूनो अछ, दिश सूनी बिन बंधव जान। हृदय सूनो मूरख हुवै, दालिद्री सर्व सूनो पिछान।।
'कुमार! जरा सोचो-तुम्हारे कोई पुत्र नहीं है, संतान नहीं है। मुझे यह बताओ-तुम्हारा नाम कैसे चलेगा?'
यह नाम का व्यामोह अथवा मोह प्रबल होता है। व्यक्ति सोचता है मेरा नाम चलना चाहिए। आज तक किसी का नाम चला नहीं है फिर भी यह नाम का मोह बना रहता है। शायद यह मोह हर जगह काम कर रहा है। मकान पर भी लोग नाम देते हैं, जिससे पता चले कि किसने बनाया है। चबूतरा बनाते हैं तो उस पर भी नाम देते हैं। ___ हम एक दिन एक गांव में थे। प्रातःकाल का समय। मैं आसन कर रहा था। आसन के पश्चात् कायोत्सर्ग किया
गाथा परम विजय की
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