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गाथा परम विजय की
'प्रिये! बहुत सारे काम आपातकाल में बड़े सुख देने वाले लगते हैं पर परिणाम काल में वैसे नहीं होते। बहुत सारे काम आपातकाल में दुःखद लगते हैं पर परिणाम काल में सुखद होते हैं। धार्मिक लोगों ने यह विवेक किया, इस सचाई को पकड़ा और सुख को दो भागों में बांट दिया-आपात-भद्र और परिणाम-भद्र।
आपात-भद्र वह होता है, जो पहले बहुत सुखद लगता है किन्तु उसका परिणाम अच्छा नहीं होता। परिणामभद्र वह होता है, जो पहले ज्यादा अच्छा नहीं लगता किन्तु उसका परिणाम बहुत सुखद होता है।' ___इंग्लैण्ड में एक व्यक्ति को फांसी की सजा हो गई। अपराध था चोरी का। यह एक सामान्य नियम है-फांसी देने से पूर्व चोर की अंतिम इच्छा पूरी की जाती है। चोर ने कहा-मैं अपनी मां से मिलना चाहता हूं। मां को बुलाया गया। चोर मां की ओर झुका और उसकी नाक को चबा डाला। मां चीख उठी। लोगों ने बेटे के चंगुल से मां को छुड़ाया। चोर को डांटते हुए लोग बोले-'मूर्ख! यह क्या किया? कम से कम मां के साथ तो ऐसा व्यवहार नहीं करना चाहिए!'
'महाशय! आप नहीं जानते। यह फांसी आप नहीं दे रहे हैं, मेरी मां के कारण मिल रही है।' लोग यह सुनकर अवाक् रह गए। उन्होंने विस्मय से पूछा-यह कैसे कह रहे हो तुम?'
चोर ने कहा-'जब मैं छोटा बच्चा था, स्कूल में पढ़ता था तब दो बढ़िया पेंसिलें चुरा कर लाया। मैंने वे मां को दिखाई। मां ने मेरी पीठ थपथपाते हए शाबाशी दी। मेरा साहस बढा। मैं चोरी करता रहा. मां शाबाशी और प्रोत्साहन देती रही। उसका यह परिणाम आया है कि मुझे फांसी के फंदे पर लटकना पड़ रहा है। यदि मां मुझे पहले ही दिन टोक देती और यह कहती-बेटा! तुमने यह अच्छा काम नहीं किया, मेरे दूध को लजाया है तो मैं कभी चोरी नहीं करता, मुझे ऐसी मौत नहीं मरना पड़ता।' ___जम्बूकुमार ने भावपूर्ण स्वर में कहा–'प्रिये! तुम गहराई से सोचो। दुनिया भोगों को प्रोत्साहन देती है, समर्थन देती है किन्तु जब भोगों का परिणाम भुगतना पड़ता है तब वह किसे अच्छा लगता है? उस समय भोग की प्रेरणा देने वाला अच्छा लगेगा या त्याग की प्रेरणा देने वाला?'
'प्रिये! त्याग का पथ अलौकिक पथ है। यह पहले अच्छा नहीं भी लगे पर परिणाम में बहुत अच्छा है। जो केवल भोग की बात को लेकर चलता है या चलाता है वह दुःख की ओर ले जाता है। उस मार्ग में थोड़ा सुख है और बहुत दुःख। इस सचाई का तुम अनुभव करो।'
एक आदमी कुछ दिनों के अंतराल से दर्शन करने आया। मैंने पूछा-'भाई! क्या बात है?' ___उसने कहा-'महाराज! मैं कुछ अस्वस्थ हो गया था। मेरे आम की बीमारी रहती है, पेट ठीक नहीं रहता। एक दिन भोज में कुछ ज्यादा खा लिया इसलिए वह बीमारी उग्र बन गई।'
'तुमने ज्यादा क्यों खाया?'