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गाथा परम विजय की
परछाईं की चोटी को मत पकड़ो, अपनी चोटी को पकड़ो। परछाईं की चोटी अपने आप हाथ में जाएगी।
जम्बूकुमार बोला- 'नभसेना ! सुधर्मा स्वामी ने मुझे अपनी चोटी पकड़ा दी इसलिए यह परछाईं की चोटी भी पकड़ में आ गई। मैंने इस सचाई को समझ लिया - इस दुनिया में वह आदमी कभी शांति से नहीं जी सकता जो केवल प्रतिध्वनि को सुनता है, केवल प्रतिबिम्ब को देखता है और केवल परछाईं की चोटी को पकड़ना चाहता है।'
'प्रिये! मैं अब प्रतिबिम्ब को छोड़कर बिम्ब को देखना चाहता हूं, प्रतिध्वनि से दूर हटकर मूल ध्वनि को सुनना चाहता हूं, मैं परछाईं से हटकर मूल को पाना चाहता हूं। बोलो तुम क्या चाहती हो?'
जम्बूकुमार ने ऐसी मर्म की बात कही, ऐसा तत्त्वज्ञान दिया कि नभसेना की भी अंतर्दृष्टि खुल गई। बहिर्दृष्टि और अंतर्दृष्टि में दृष्टिकोण का ही तो अंतर है। गांव की विपरीत दिशा में चलो तो दूरी बढ़ती जाएगी। गांव के उन्मुख हो जाओ तो पाव कोश पर गांव है।
पुरानी घटना है। जोधपुर के राजा को धन की जरूरत हो गई। अपने पुराने बही-खाते संभाले। उसमें लिखा था-अगर धन की जरूरत हो तो खाटू और मकराने के बीच में खुदाई कर लेना । बहुत खजाना वहां भरा पड़ा है। खाटू से मकराना है ४० किलोमीटर की दूरी पर। खुदाई कहां पर करें ? खोदने वाला कहां-कहां खोदे? बड़ी परेशानी हुई। दीवान बहुत बुद्धिमान था । उसने कहा- कोई समस्या नहीं है । मैं थोड़ा सा ध्यान कर लेता हूं। कल समस्या का हल कर दूंगा।
दूसरा दिन | दीवान ने सारी योजना बना ली। राजा ने पूछा-'समाधान मिल गया ।'
‘हां राजन्!’
'खजाना कहां है?'
'महाराज! आप जरा खड़े हो जाइए। '
राजा खड़ा हो गया। दीवान ने कहा- 'सिंहासन को हटाओ।'
सिंहासन को हटाया। सिंहासन के नीचे कुछ पत्थर खाटू के लगे हुए थे और कुछ पत्थर मकराने के। दीवान बोला- 'महाराज ! खजाना इनके बीच में है।' उस स्थान को खोदा और खजाना निकल आया ।
खजाना तो नीचे गढ़ा हुआ है। न खाटू जाने की जरूरत है और न मकराना जाने की। सिंहासन के नीचे खजाना भरा पड़ा है। केवल थोड़ी सी चेतना जाग जाए, अंतर्दृष्टि खुल जाए ।
नभसेना की चेतना जाग गई, आंख खुल गई।
अब कनकश्री सामने आई। उसने कहा- तुमने इतनी बातें कहीं पर कुछ नहीं हुआ। तुम भी जम्बूकुमार के विचारों की अनुगामिनी बन गई हो ।
हर किसी का अपना अहं होता है। सबसे बड़ी समस्या है 'अहं'। कनकश्री का अहं जागृत हुआ, वह बोली- अब मेरी करामात देखो।
क्या कनकश्री का अहं विगलित होगा ?
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