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जम्बूकुमार बोला-' प्रभव! कोई झगड़ा नहीं है, कोई वाद-विवाद नहीं है। सब संवाद हो गया। यदि विवाद कोई था तो वह भी मिट गया।'
'विवाद क्या था ?'
'प्रभव! विवाद का विषय इतना ही था कि मैं दीक्षा लेना चाहता था, प्रातःकाल मुनि बनना चाहता था और ये नहीं चाहती थीं कि मैं मुनि बनूं।'
'क्या तुम सुबह ही मुनि बनना चाहते हो ?'
'हां प्रभव!'
'कुमार! यह क्या सोचा तुमने? तुम ऐसी भूल मत करना । '
'कुमार! भारी भूल हो जायेगी। क्यों तुम्हारे दिमाग में यह कीटाणु घुसा? किसने तुमको बहका दिया, भरमा दिया कि मुनि बनो। मैं तो यह सोच भी नहीं सकता । जिसकी सम्पदा को देखकर दूसरों को ईर्ष्या होती है, जिसकी सम्पदा को देखकर दूसरों का मन ललचाता है, हमारा भी मन ललचाया और तुम उसको ठुकराकर मुनि बनना चाहते हो? तुम क्या पाओगे ? ऐसी भयंकर भूल मत करो।'
जम्बूकुमार ने आठ कन्याओं को समझाया, सोचा - अब कोई बाधा नहीं है। पथ एकदम प्रशस्त है। किन्तु नौवां फिर सामने प्रस्तुत हो गया। इस दुनिया में एक के बाद एक समस्याएं आती हैं, विघ्न-बाधाएं आती हैं। समझाने वाले और उपदेश देने वाले भी बहुत आते हैं। दुनिया में उपदेश देने वालों की कमी नहीं है। एक नया उपदेशक प्रकट हो गया।
प्रभव बोला-'कुमार! मेरी बात ध्यान से सुनो। वह ऐसी सचाई है, जिसे सुनकर तुम मुनि बनने की कल्पना ही छोड़ दोगे। अभी ऐसा लगता है कि तुम झूठ के रास्ते पर जा रहे हो।'
जम्बूकुमार आश्चर्य के साथ विस्फारित नेत्रों से देखने लगा । आठों कन्याओं के मन में भी कुतूहल पैदा हो गया, सोचा- अब तो इसके कथन का हमारे पर भी असर नहीं हो रहा है। यदि यह पहले आता तो हमारा साथी अवश्य बन जाता।
जम्बूकुमार ने कहा-' प्रभव! मन में क्यों रखो। जो कहना है कह दो।'
प्रभव बोला-‘कुमार! यह जो भोग सामग्री है वह सुलभ नहीं है, बहुत दुर्लभ है। क्या तुम्हें पता है कि केतने लोग अभाव का जीवन जीते हैं जिन्हें दो जून खाने को रोटी नहीं मिलती ?'
दुर्लभां भोग सामग्री, जानीहि त्वं धरातले ।
सा सर्वापि त्वया प्राप्ता, पूर्वोपार्जितपुण्यतः ।।
हिन्दुस्तान में भी आज करोड़ों व्यक्ति ऐसे हैं जिन्हें दो बार खाने को पर्याप्त रोटी नहीं मिलती। दिन में एक बार मिलती है। कभी-कभी एकान्तर हो जाता है। वर्षीतप नहीं करते, एकान्तर नहीं करते पर विवशता ` वर्षीतप या एकान्तर हो जाता है। जो मिलता है, वह भी पौष्टिक नहीं मिलता। कुपोषण के कारण न जाने केतने लोग बीमार हो जाते हैं।
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गाथा
परम विजय की
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