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गाथा परम विजय की
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स्वयं कर्जदार बनता गया, कर्म का कर्जा चढ़ता चला गया और चोरी भी करता चला गया। काफी समय तक वह जघन्य कर्म करता रहा । '
'प्रिये! चारक की मनोवृत्ति मलिन थी इसलिए वह घोड़ी को पौष्टिक चीजें नहीं खिलाता। घोड़ी को खाना भी पूरा नहीं मिलता। वह निरंतर दुर्बल बनती रही और एक दिन वह घोड़ी मर गई।'
‘प्रिये! इस दुनिया में अमर कोई नहीं रहता । बुराई करने वाला भी अमर नहीं रहता। मारने वाला भी अमर नहीं रहता।'
‘प्रिये! कुछ समय पश्चात् वह चारक भी मर गया। उसी नगर में वह चारक एक दास के घर पैदा हुआ। उसका शरीर इतना भद्दा और इतना कुरूप था कि कोई पुरुष या स्त्री उसको देखना भी पसंद नहीं करते।'
कोई पुरुष भद्दा क्यों बनता है, कोई सुंदर क्यों बनता है? इसकी व्याख्या आज जेनेटिक इंजीनियरिंग के वैज्ञानिक जीन के आधार पर करते हैं। अध्यात्म के लोग कर्म के आधार पर करते हैं कि किस कर्म का यह परिणाम है? कर्म के आधार पर बहुत सारी बातें सामने आती हैं। जब हम पूर्वजन्म, वर्तमान जन्म और पुनर्जन्म - आगे होने वाला जन्म - इन तीनों को एक साथ देखते हैं, तब बड़ा विचित्र लगता है । जो व्यक्ति अतीत की ओर आंख मूंद कर बैठा है, भविष्य की ओर ध्यान नहीं देता, केवल वर्तमान को ही देखता है—–ऐसा व्यक्ति हिंसा करता है, झूठ बोलता है, आतंकवादी बनता है, चोर, डाकू बनता है, अपराधी बन जाता है, नशाखोर बन जाता है किन्तु जब अतीत पीठ के पीछे, भविष्य हमारे सामने और बीच में स्वयं का वर्तमान–इन तीनों को व्यक्ति एक साथ देखता है तो शायद चिन्तन का कोण बदल जाता है।
अध्यात्म मनीषी कहते हैं—–भाई! तुम तीनों कालों को एक साथ देखो। अतीत में तुम क्या थे? वर्तमान में अतीत का कितना प्रभाव है? भविष्य तुम्हारे सामने है। तुम्हारा आचरण जैसा होगा, भविष्य भी वैसा ही होगा। जैसा ज्ञान, जैसा दर्शन और जैसा आचरण होगा, वैसा तुम्हारा भविष्य बनेगा। जो इन सबको मिलाकर देखता है वह सम्यग्दृष्टि है। इस प्रकार देखने वाला बहुत बड़ा अनर्थ नहीं कर सकता। वह सोचता है—कोई सत्कर्म किया था, इसलिए यह जन्म अच्छा मिल गया, पर पता नहीं आगे क्या होने वाला. है? मैं जागरूक रहूंगा तो भविष्य भी अच्छा रहेगा।
इतिहास की घटनाएं बताती हैं-पिछले जन्म में जो राजा था, बड़ा आदमी था, वह मरकर क्या बना? कोई कुत्ता बन गया, कोई सूअर बन गया। जो एयरकंडीशन में रहने वाला था वह भैंसा बन गया। कितनी गर्मी लगती है भैंसे को? वह राजस्थान में भैंसा बना गाड़ी के जुता रहता। इतनी धूप, इतनी गर्मी। राजस्थान में कहां जलाशय मिले ?
'प्रिये! वह घोड़ी मर कर वेश्या बनी और वह नौकर कुरूप भद्दा लड़का बना। एक दिन योग मिला-वह वेश्या कहीं जा रही थी। चारक ने उसे देख लिया। देखते ही भीतर में कुछ मोहात्मक स्पंदन हुआ, सोचा- यह कोई परिचित लगती है। कौन है यह? केवल यह प्रश्न ही पैदा नहीं हुआ, आकर्षण भी पैदा हो गया, मोह भी जाग गया। वह तत्काल दौड़ा, वेश्या के पास गया, बोला- मैं तुमसे परिचय करना
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