________________
.ooo
होता है। यदि तैजस शरीर प्रबल है तो कोई असर नहीं होता। हमारे भीतर एक सूक्ष्म शरीर होता है, जो स्थूल शरीर का संचालन कर रहा है, उसका नाम है तैजस शरीर।
जिन्होंने पचीस बोल सीखा है, वे यह जानते हैं कि शरीर के पांच प्रकार हैं-पंचविहे सरीरे पण्णत्ते, तं जहा-ओरालिए, वेउव्विए, आहारए, तेयए, कम्मे। महावीर ने शरीर के पांच प्रकार बतलाए हैं-औदारिक शरीर, वैक्रिय शरीर, आहारक शरीर, तैजस शरीर और कर्म शरीर। यह हमारा जो दिखाई देने वाला शरीर है, यह जो हाड़-मांस का पुतला कहलाता है, सात धातु का पुतला कहलाता है यह औदारिक शरीर है। इसमें रस, रक्त, मांस, मेद, अस्थि, मज्जा, वीर्य-ये सात धातुएं होती हैं। यह औदारिक शरीर है किन्तु हम जो खाते हैं, वह कौन पचाता है? औदारिक शरीर का काम नहीं है कि वह खाने को पचा दे। पचाने वाला है तैजस शरीर। पाचन करना उसका काम है। वह अग्नि का शरीर है। इसे कहते है विद्युत् शरीर, इलेक्ट्रिकल बॉडी। जिसका तैजस शरीर प्रबल होता है उस पर किसी का असर नहीं होता। तैजस शरीर कमजोर कब बनता है? बुरा विचार, बुरा चिंतन, बुरी बात सोचना, वासना की बात सोचना, आवेश करना, बार-बार क्रोध, अहंकार, लोभ, भय इन सबसे तैजस शरीर कमजोर हो जाता है, आग बुझने लग जाती है। ज्यादा खाओ तो भी तैजस शरीर कमजोर बनने लग जाता है। तैजस शरीर प्रबल हो तो कोई असर नहीं होता। .
प्रभव ने विनत स्वर में कहा-'कुमार! मुझे आश्चर्य होता है तुम्हारी शक्ति पर। तुम्हारी तैजस शक्ति इतनी प्रबल है कि मेरी अवस्वापिनी विद्या का तुम्हारे पर कोई असर नहीं हुआ। तुम जागते रहे। ऐसा लगता है तुम्हारे पास अंतर्दृष्टि भी है। तुम्हें सब कुछ पता भी लग गया।'
प्रभव ने अपने मन की कल्पना प्रस्तुत की-कुमार! तुमने सोचा होगा कि चोर आ गये, ये धन ले जाएंगे और सुबह हम दीक्षा लेंगे तो लोग कहेंगे कि जो धन दहेज में आया था, वह चला गया, इस दःख के कारण दीक्षा ले रहा है।'
'कुमार! तुमने ठीक सोचा। यह स्वाभाविक बात है। अगर हम धन ले जाते और फिर तुम्हारी दीक्षा होती तो लोग यही बात कहते। हम इस तथ्य को जानते हैं और बहुत मनोवैज्ञानिक दृष्टि से देखते हैं क्योंकि हमारा धंधा ही यही है। हम हर बात को ताड़ लेते हैं। तुमने सोचा कि यह अच्छा नहीं होगा इसलिए तुमने स्तंभनी विद्या का प्रयोग कर दिया और सबके हाथ-पैर बांध दिये।' ।
एक बार हमारे सामने भी यह प्रश्न आया था-क्या आज भी स्तंभनी विद्या का विकास किया जा सकता है? अगर स्तंभनी विद्या का विकास हो तो सारे शस्त्र निष्प्रभावी बन जाएंगे। कोई अणुबम का प्रयोग करता है, स्तंभनी विद्या का प्रयोग हो तो वह वहां का वहां रह जायेगा, आगे नहीं बढ़ पाएगा। आज कहीं से भी कोई शस्त्र आ रहा है, किसी शस्त्र का प्रयोग हो रहा है। स्तंभनी विद्या का प्रयोग करो, जहां का तहां ह जाएगा, आगे बढ़ नहीं सकेगा। एक ओर अकेला आदमी खड़ा है दूसरी ओर हजारों सैनिक आ रहे हैं, आक्रान्ता और मारक मनुष्य आ रहे हैं, उपद्रवी और आतंकवादी आ रहे हैं। स्तंभनी विद्या का प्रयोग करो, बस वहीं रुक जाएंगे, आगे बढ़ नहीं पाएंगे। ___ प्रभव ने कहा-'स्तंभनी विद्या बड़ी चमत्कारी है, वह तुम्हारे पास है। जम्बूकुमार! आश्चर्य है कि इतनी छोटी अवस्था में तुम इतने शक्तिशाली बन गये, विद्याधर बन गये। तुम्हारा मुखमंडल और आभामंडल २६६
गाथा परम विजय की