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दःखी आदमी बैठे हैं। उसे दया आ गई। वह विद्याबल से नीचे उतरा, उनके पास आया, बोला-'भाई! तुम इतने दुःखी क्यों हो?' _ 'महाराज! हम बहुत गरीब हैं। कुछ खाने को नहीं है। हमारे पास कोई कला नहीं है, कोई शिल्प नहीं है, विद्या नहीं है। न तो हम पढ़े-लिखे हैं और न पास में पैसा है। पेट भरना बड़ा मुश्किल हो रहा है। कभी-कभी तो सोचते हैं कि इस संसार से विदा हो जाएं। हम कुछ समझ नहीं पा रहे हैं कि हम क्या करें।' _ विद्याधर को दया आ गई। जिस समय मानवीय संवेदना जागती है, उस समय एकात्मकता का भाव जुड़ जाता है। विद्याधर ने सोचा-इनको निहाल करना चाहिए। विद्याधर बोला-'बोलो, क्या चाहते हो, मांग लो। तुम जो मांगोगे वह देंगे।'
दोनों भाई सोच-विचारकर बोले-हमें ऐसी विद्या दो जिससे हमारी गरीबी मिट जाए।' विद्याधर ने कहा-'ठीक है। मैं तुम्हें चंडालिनी नाम की विद्या देता हूं। उस विद्या को तुम साध लो। छह महीना लगेगा। छह महीने में विद्या सिद्ध हो जायेगी। विद्या की सिद्धि के बाद तुम्हारी सारी स्थिति बदल जायेगी। तुम गरीब नहीं रहोगे। जनता में तुम्हारा सम्मान बढ़ेगा। सब लोग तुम्हें पूछेगे, तुम्हारे पास आयेंगे, कहेंगे-तुम भी हमारा भाग्य बता दो, हमारा गुप्त खजाना बता दो। तुम्हारा बड़ा सम्मान होगा, प्रतिष्ठा भी बढ़ जायेगी।'
दोनों भाई बहुत प्रसन्न हुए।
विद्याधर ने कहा-'देखो, एक काम तुम्हें करना होगा। चाण्डाल कन्या के साथ विवाह करना होगा। गाथा विवाह के पश्चात् छह महीने तक ब्रह्मचारी रहकर विद्या की साधना करनी होगी। यदि विवाह के बाद छह परम विजय की माह तक ब्रह्मचारी नहीं रहे तो विद्या सिद्ध नहीं होगी। यदि विवाह के बाद ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए साधना की तो विद्या सिद्ध हो जाएगी।'
विद्याधर विधि बता कर चला गया। दोनों भाइयों ने चाण्डाल कन्या के साथ विवाह कर लिया और विद्या की साधना शुरू कर दी।
विद्युत्माली विद्याधर के निर्देश का पालन नहीं कर सका। वह कन्या में आसक्त हो गया। उसने संकल्प को तोड़ दिया, भोग-विलास में फंस गया। मेघमाली अखंड ब्रह्मचर्य का पालन करता हुआ साधना करता रहा। छह महीना पूरा हुआ। मेघमाली को चण्डालिनी विद्या सिद्ध हो गई। जब चण्डालिनी विद्या सिद्ध हो जाती है तब भूत, भविष्य को जानने की शक्ति बढ़ जाती है। विद्यासिद्ध व्यक्ति भविष्यवाणी करने लग जाता है, सुदूर भविष्य की बात बता देता है। मेघमाली ने भविष्यवाणियां करनी शुरू कर दी। पूरे शहर में मेघमाली का नाम गूंज उठा। बड़े-बड़े लोग अपना भविष्य पूछने के लिए आने लगे। आजकल जब चुनाव
आते हैं, तब ज्योतिषियों के पास राजनेताओं की भीड़ हो जाती है। उनके मन में यह चिन्ता होती है कि भविष्य क्या होगा? जीतेंगे या नहीं, मंत्री बनेंगे या नहीं?
मेघमाली की प्रख्याति को देख कर विद्युत्माली मन में बहुत पछताता है, वह सोचता है हाय! मैंने क्या कर दिया? मैं अपने आप पर नियंत्रण नहीं रख सका, अपनी वृत्तियों पर नियंत्रण नहीं रख सका, ब्रह्मचारी नहीं रह सका। उसी का यह परिणाम है न दरिद्रता मिटी, न विद्या सिद्ध हुई और न मेरा नाम २१०
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