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रहते। उन चोरों ने खूब माल चुराया, पशुओं को भी चुराया । बहुत धन, भारी सामान और सैकड़ों गायों को लेकर जा रहे थे। जैसे ही उस किसान के खेत के पास आये, किसान ने शंख बजाया । शंख इतना तेज बजाया कि चोर डर गये। उन्होंने सोचा -पीछे से पुलिस पकड़ने के लिए आ रही है। यह उसी की आवाज है और वे ही शंख बजा रहे हैं। शंख की एक विशेष प्रकार की ध्वनि होती है। प्राचीन साहित्य में शंख के चमत्कार का वर्णन मिलता है । भयभीत चोरों ने सोचा- आरक्षी दल आ गये हैं। इतने सामान को लेकर हम भाग नहीं सकते। भयभीत चोरों ने सारे पशुओं को वहीं छोड़ दिया, भारी सामान को भी छोड़ दिया। चोर प्राण बचाने के लिए भाग गये। किसान ने देखा - ये कौन लोग हैं? सब क्यों भाग रहे हैं। क्या बात है ? वह वहां आया–रुपये, गहने, जवाहरात का ढेर लगा पड़ा है, बहुत सारे पशु खड़े हैं। उसने सोचा-ये जरूर चोर हैं और भाग गये हैं। उसने उस धन पर कब्जा कर लिया, अपने घर ले गया। कुछ दिनों में उसका हाल बदल गया। लोगों ने पूछा–अरे! इतनी सम्पदा तेरे पास कैसे आ गई? तुम इतने सुखी बन गए, क्या कारण है ?
किसान बोला-'आकाश से बरसा है, किसी देवता ने कृपा की है इसलिए इतनी सम्पदा बढ़ गई । ' लोगों को बड़ा आश्चर्य हुआ।
दो-तीन महीने बीते। फसल की कटाई का समय आया । कर्मकरों द्वारा फसल काटी जा रही है। अनाज पड़ा है, रखवाली कर रहे हैं। किसान भी वहीं खड़ा है और शंख बजा रहा है। ऐसा योग मिला उसी समय वे ही चोर उसी मार्ग से चोरी करने के लिए जा रहे थे। खेत के पास आये, शंख की आवाज को सुना। शंख ध्वनि सुनकर चोरों ने सोचा - यह तो वही शंखध्वनि है। यहां कोई आरक्षी दल नहीं है। कोई सामान्य कृषक शंख ध्वनि कर रहा है। हम तो उस दिन अनावश्यक डर गये। हमने सोचा-पीछे से कोई पकड़ने के लिए आ रहे हैं, यहां तो कोई नहीं है । कोई खेत में से ही आवाज आ रही है। वे खेत में घुस गये, आगे देखा–एक बूढ़ा किसान शंख बजा रहा है। चोरों ने सोचा - धोखा हो गया। उसको पकड़ा। पकड़कर सीधे पल्ली में ले गये। पूछा–बोलो, दो महीने पहले यहां धन और पशु तुम्हें मिले थे। किसान दो-चार बार तो ना-नुकर करता रहा। जब पिटाई शुरू हुई, तब बोला- हां मिला था। मार के सामने तो भूत भी भाग जाते हैं। किसान ने स्वीकार कर लिया- धन मेरे पास है।
'पशु कहां हैं?'
'पशु बाड़ों में बंधे हुए हैं।'
'सबको लाओ यहां। नहीं तो तुम्हारे प्राण चले जाएंगे।'
किसान बेचारा डर गया, उसने कहा- 'मैं सारा ला दूंगा।'
उसने सारा धन और पशु वापस दे दिये। जो देवता का प्रसाद था, वह पुनः चला गया। वह वैसा का वैसा हो गया। जो सम्पदा आई वह दो महीने के बाद चली गई।
'प्रियतम! इस कहानी का मर्म समझो। ऐसा क्यों हुआ ? इसलिए हुआ कि किसान अवसर को नहीं जानता था। कब शंख बजाना चाहिए, यह ज्ञान नहीं था। केवल बजाता ही चला जाता। उसने यह नहीं देखा कि अभी इतने लोग आ रहे हैं तो अभी शंख नहीं बजाना चाहिए। खेत के आगे जा रहे लोगों को देख लेता, अवसर को जानता, शंख नहीं बजाता तो वह धनवान बनकर फिर गरीब नहीं बनता।'
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गाथा परम विजय की
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