________________
opmmm
'अब हमें क्या करना चाहिए? जम्बूकुमार का निर्णय हमारे सामने स्पष्ट है। वह विवाह करने के पश्चात् घर में नहीं रहेगा।'
'हां।'
'हम अभी तो स्वतंत्र हैं। हमारे माता-पिता कह रहे हैं कि तुम चाहो तो जम्बूकुमार के साथ संबंध विच्छेद कर सकती हो। यह कोई सामाजिक अपराध नहीं है, सामाजिक दोष भी नहीं है। माता-पिता भी सहमत हैं। सब कुछ निर्भर है हमारे चिन्तन पर।'
कनकसेना-'बहिन! आपकी क्या इच्छा है?' 'जो सबकी इच्छा है, वही मेरी इच्छा है।'
पद्मश्री बोली-बहन! जो निश्चय कर लिया, उस निश्चय से मुकरना नहीं है। हम यह मान लें कि हमारे भाग्य में ऐसा ही लिखा है।'
उदयति यदि भानु पश्चिमायां दिशायां।
तदपि न चलतीयं भाविनी कमरेखा।। 'बहिन! सूर्य कहां उगता है?'
<
'पूर्व में।
'अगर सूरज पश्चिम में उग जाए तो भी यह भाविनी कर्म-रेखा नहीं टलेगी, नहीं टलेगी। हमें भविष्य ।
गाथा
परम विजय की पर और भवितव्यता पर छोड़ देना चाहिए। यह मानना चाहिए कि हमारा योग ऐसा है।'
पद्मसेना ने कहा-'बहनो! मान लो हम किसी दूसरे से शादी करें और हो सकता है कल ही विधवा हो जाएं। हमने तो ऐसे प्रसंग देखे हैं-आज शादी हुई और शाम तक विधवा हो जाती है, कोई दुर्घटना होती है, पति चला जाता है अथवा पत्नी चली जाती है। कम से कम हमारा पति कहीं जाएगा तो नहीं?'
कनकश्री ने प्रश्न उपस्थित किया-'बहनो! हमने जो निर्णय कर लिया है, उस पर अटल रहना संभव है?'
'हां, पर हमारा चिंतन एक होना चाहिए।' जयंतसेना ने इस मत का समर्थन किया हमारे चिन्तन में एकरूपता जरूरी है।
'यह तो अच्छा नहीं लगता कि कुछ शादी कर लें और कुछ मुकर जाएं। हम पहला निर्णय यह लें जो कदम उठाएं, वह एक ही हो, अलग-अलग नहीं। हमारी एकता मजबूत होनी चाहिए।'
सब एक स्वर में बोलीं-'हमारा अटल निश्चय है कि विवाह करना है तो जम्बूकुमार के साथ, अन्यथा हम विवाह नहीं करेंगी।'
समुद्रश्री बोली-बहनो! अकेली स्त्री भी पुरुष को विचलित करने में समर्थ होती है। हम आठ हैं और आठों देवांगना तुल्य हैं। जब हमारा संयोग होगा, उसके लिए शील पालना दुष्कर हो जाएगा।'
१४४