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कोई लांघ नहीं सकता। वचनसिद्धि भी हो सकती है। वाणी का बल इतना है कि मुंह से जो कह दिया, वह अटल है, उसको कोई टाल नहीं सकता, चुनौती नहीं दे सकता। जो मुंह से निकल गया वह हो जाएगा।
आचार्य भिक्षु वचनसिद्ध पुरुष थे। वीरभाणजी ने कहा-'स्वामीजी! भारमलजी तो भोले हैं।' स्वामीजी ने पूछा-'तो आचार्यपद किसको मिलना चाहिए?' 'तिलोकचंदजी को।' वीरभाणजी ने परामर्श दिया। आचार्य भिक्षु ने कहा-'उन्हें सूरि-पद तो नहीं, सूरदास का पद मिल जाए तो पता नहीं।' आचार्य भिक्षु का यह वाक्य एक सचाई बन गया। उन्हें सचमुच सूरदास का पद मिल गया।
शरीर बल और वाक्बल इन दोनों से ज्यादा शक्तिशाली है मन का बल। जिसने मन के बल की साधना कर ली, वह असंभव लगने वाले काम को भी संभव बना देता है। मनोबल का एक रूप है आस्था, मनोबल का एक रूप है श्रद्धा, मनोबल का एक रूप है आत्मविश्वास। जिसमें यह विकसित हो गया, उसके लिए कभी कुछ असंभव होता ही नहीं। जम्बूकुमार का मनोबल इतना प्रबल था कि कहीं कोई विचलन नहीं था। ___ कन्याओं और जम्बूकुमार के बीच एक प्रकार का जुआ खेला जा रहा था। कन्याओं ने सोचा-बात कहते हैं मुनि बनने की किंतु जब हम जायेंगी तब पता चलेगा कि मुनि कैसे बनता है? उनको अपने वाक्बल और सौन्दर्य पर भरोसा था। उन्होंने एक जुआ खेला किंतु उन्हें यह ज्ञात नहीं था कि जम्बूकुमार उनसे भी बड़ा जुआरी है। उसके पाशे' देवकृत हैं, जो कभी हारते ही नहीं हैं। ___ ऋषभदत्त ने अपने कौटुंबिकजनों को बुलाया, कहा-'जम्बूकुमार के विवाह का निर्णय हो गया है। आठ श्रेष्ठी कन्याओं के साथ पाणिग्रहण होगा।'
कौटुंबिकजनों ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए पूछा-'पाणिग्रहण का उत्तम मुहूर्त कब है?'
'मुहूर्त देख लिया है, दो दिन बाद अच्छा लगन है, अच्छा मुहूर्त है। सब कुछ ठीक है। मैंने स्वर भी देख लिया है, वह अनुकूल चल रहा है। तुम बरात की तैयारी करो। ___ आदेश मिलते ही बरात की तैयारी शुरू हो गई। आठों श्रेष्ठियों को संदेश भेज दिया-बरात आ रही है। आप अपनी तैयारी करें।
दोनों ओर एक प्रश्न है-विवाह के बाद क्या होगा? क्या जम्बूकुमार अपने संकल्प पर अटल रह सकेगा? अथवा देवांगना-तुल्य कन्याएं उसे अपने मोहपाश में बांध लेंगी?
गाथा परम विजय की
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