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तो परण आठों इ नार रे यांने राजी करे।
साधुपणों लेतूं पछे ए॥ जम्बकुमार बोला-'मां! तुम्हारा इतना आग्रह है तो मैं तुम्हारी बात नहीं टालूंगा। मैं विवाह कर लूंगा। किंतु मेरी शर्त यह है कि मैं ब्रह्मचारी रहूंगा, मुनि बनूंगा। इस शर्त पर अगर विवाह होता हो तो तुम्हारी बात को मानने में मुझे कोई आपत्ति नहीं है।'
इस प्रस्ताव से मां के मन में थोड़ा हर्ष हुआ। दुःख का जो ज्वार था वह थोड़ा कम हो गया। समुद्र में ज्वार भाटा आता रहता है। ज्वार आता है तो पानी एक साथ बढ़ता है, भाटा आता है तो पानी नीचे चला जाता है। मुंबई में महासागर के तट पर हमने ज्वार-भाटा देखा है। अमावस्या, पूर्णिमा आदि निश्चित दिनों में भयंकर ज्वार आता है और फिर भाटा आता है। जिन लोगों ने समुद्र को देखा है, वे यह जानते हैं कि ज्वार-भाटा का दृश्य कैसा बनता है। जब ज्वार आता है, पानी का पूर वेग से तट को छूने लगता है, तट पर प्रहार करता है तब ऐसा लगता है जैसे यह तट के शिखर को छूता हुआ मुख्य मार्ग पर आ जाएगा। भयंकर समुद्री ज्वार और तूफान ने अनेक बार विनाशलीलाएं रची हैं। भाटा आता है, पानी का उफान कम होता है, सब कुछ सामान्य हो जाता है। हमने समुद्र के शांत और तरंगित, दोनों रूपों को देखा है। एक दिन मुंबई में हम समुद्र के ज्वार में फंस गये थे। सूखी भूमि पर खड़े थे। अचानक ज्वार आया। चारों ओर पानी से घिर गए। कुछ क्षण खड़े रहे। ज्वार कम हुआ, तब तट पर आ पाए। ___ मां के मन में एक बार दुःख का ज्वार आया, फिर भाटा आ गया। दुःख थोड़ा हलका हुआ। मां के गाथा चेहरे पर थोड़ी सी मुस्कान छाई, खुशी की झलक आई। मां ने सोचा-हमारा काम हो गया। अब कोई चिंता परम विजय की नहीं है। एक बार विवाह कर लेगा तो राग-रंग में उलझ जाएगा। यह सब कहने की बात है ब्रह्मचारी रहूंगा, मुनि बनूंगा। विवाह कर लेगा तो अपने आप गृहस्थी बन जायेगा।
मां ने कहा-बेटा! चिरायु भव-चिरंजीव रहो। तुमने बहुत अच्छा निर्णय किया है। अब हम विवाह की तैयारी करते हैं।' ___ 'मां! विवाह में मेरी कोई रुचि नहीं है। मैं केवल तेरी प्रसन्नता के लिए विवाह कर रहा हूं किन्तु विवाह के पश्चात् मैं एक दिन भी नहीं रहूंगा।'
'जात! तुम हमारी इच्छा का सम्मान कर विवाह कर रहे हो। हम भी तुम्हारे संकल्प का सम्मान करेंगे।' यह कहते हुए मां ने वार्तालाप को विराम दे दिया। ___ मां की वार्ता समाप्त हो गई किन्तु जम्बूकुमार की बात समाप्त नहीं हुई। जम्बूकुमार ने चिंतन कियामैंने एक दुधारी तलवार पर चलना शुरू कर दिया है। इधर-उधर दोनों तरफ धार है। मेरा संकल्प दृढ़ है कि मैं ब्रह्मचारी रहूंगा, मुनि बनूंगा। इस संकल्प में कोई अंतर नहीं आएगा। दूसरी ओर मैंने स्वीकार कर लिया है कि मैं विवाह करूंगा।
विवाह करूं और फिर ब्रह्मचारी रहूं-यह वाग्दत्ता कन्याओं के साथ धोखा होगा। मैं धोखा करना नहीं चाहता।
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