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उसने सोचा यह क्या बात है? मैंने समुद्र में डुबकी लगाई, हजारों लाखों टन पानी सिर पर आ गया फिर भी भार बिल्कुल नहीं लगा। अभी पांच-दस लीटर पानी उठाया तो सिर पर भार लगता है। बात समझ नहीं सका, उलझ गया। कोई समझदार आदमी मिला, पूछा-'भैया! बात क्या है? समुद्र में गया, भार नहीं लगा। सिर पर घड़ा उठाया और भार लगा!' ___ उसने कहा-'बहुत सीधी बात है। समुद्र तेरा नहीं था, घड़ा तेरा है। समुद्र के साथ मेरापन नहीं था, इसके साथ मेरापन जुड़ गया। जहां मेरापन जुड़ता है वहां भार हो जाता है। जहां मेरापन नहीं है वहां कोई भार नहीं होता।' ___ यह संबंध की समस्या मेरेपन की समस्या है। जहां मेरापन है, वहां संबंध में उलझन आती है तो बड़ा कष्ट होता है। ____ जम्बूकुमार से संबंध का पतला-सा धागा जुड़ा और एक अनुबंध हो गया। अनुबंध से मुक्ति की बात समस्या बन गई। श्रेष्ठी ने सोचा-सगाई हुई है, विवाह तो हुआ ही नहीं है। पहले ही उलझन पैदा हो गई। अब क्या करूं? मन क्षुब्ध हो गया। चिन्तित और व्याकुल हो गया। एक गहरी समस्या का अनुभव करने लगा। दुकान में मन नहीं लगा। दुकान को मंगल किया। घर पर आया। तत्काल पत्नी और कन्या को बुलाया। ___ पत्नी ने पूछा-'प्रियतम! आज आप उदास क्यों हैं? घंटा भर पहले दुकान गये तब बड़े प्रसन्न थे। अचानक क्या हुआ? उदास क्यों हो गये?'
'प्रिये! उदास कोई अकारण नहीं होता। कभी-कभी अकारण भी उदासी आती है किंतु यह सकारण उदासी आई है।'
पुत्री ने पूछा-पिताजी! कारण क्या है? हमारे सामने कोई समस्या नहीं है। घर में कोई कमी नहीं है, प्रचुर धन है, सुख है, सब कुछ है। फिर क्या कारण हो सकता है? क्या कोई झगड़ा हो गया है किसी से?'
'नहीं, झगड़ा नहीं हुआ?' 'किसी ने कुछ कर दिया है?' 'नहीं।'
'पिताश्री! आज की दुनिया में ईर्ष्यालु लोग बहुत हैं। बड़े लोगों के साथ बड़ी ईर्ष्या होती है। क्या कोई ईष्यालु मिल गया, जिससे कोई नई समस्या पैदा हो गई है?' ___ मनुष्य में ईर्ष्या होती है; ईर्ष्या बड़ी समस्या भी पैदा करती है।
कोयल जा रही थी। कोयल के गले में हार था। पेड़ पर कौआ बैठा था। कोयल के गले में हार देख कर कौआ स्तब्ध रह गया। सोचा-यह क्या? कहां से लाई है यह हार? कौए ने पूछा-'बहन! यह हार कहां से मिला?'
देखा कोकिल के गलहार, प्रस्फुट होता था आभार। जी खोल कौए ने पूछा, बहिन कहां पाया उपहार।
गाथा परम विजय की
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