________________
गाथा परम विजय की
जम्बूकुमार के शौर्य की प्रशंसा करते हुए रत्नचूल ने व्योमगति के कथन का प्रतिवाद किया-व्योमगति! मैं मानता हूं यह कुमार, सचमुच बलवान, वीर, शक्तिशाली योद्धा है। इसने पराजय दे दी किंतु यदि कोरा मृगांक होता तो पता चलता कि वीर कैसा होता है? वीर कौन होता है?'
जम्बूस्वामिकुमारण, केवलं निर्जितो बलः।
अजय्येऽपि मदीयोऽयं, प्रचंडभुजविक्रमात्।। रत्नचूल ने चुनौती भरे स्वर में कहा-'व्योमगति! अगर तुमने जो कहा, वह सही है तो चलो एक बार फिर हम मैदान में आ जायें। जम्बूकुमार नहीं रहेगा। मैं, मृगांक और हमारे कुछ सैनिक! फिर परीक्षा कर लो कि मृगांक कितना बलवान् है? क्या करता है? कितना पौरुष दिखाता है? यह मेरी शर्त है। या तो इसको मानो या तुम अपनी बात को वापस लो।'
गौरवं किंच चेदस्ति, युष्मदादिषु साम्प्रतम्।
नष्टं न किंचिदद्यापि, विद्यमानतयावयोः।। कोई अपनी बात को वापस लेना नहीं चाहता। कोई प्रस्ताव भी लाते हैं तो वापस लेना पसंद नहीं करते। बहुत कम लोग ले पाते हैं। वापस लेना कठिन है।
बात तन गई। मृगांक भी आवेश में आ गया, बोला-'मेरी प्रशंसा को यह सहन नहीं कर सका तो इसको मैं भी अपना पौरुष दिखाऊंगा। रत्नचूल! तुम विलंब मत करो। युद्ध के लिए तैयार हो जाओ।'
अधुनैव महायुद्धमावयोरुचितं पुनः।
विलंबं मा कार्षीः क्षोभात्, पिनद्धो भवसंगरे।। रत्नचूल ने सोचा-यह छोटा-सा विद्याधर मेरे सामने इतनी डींग हांक रहा है। अब इसको पता चलेगा कि रत्नचूल की वीरता के सामने वह क्या है? ___जम्बूकुमार ने सोचा मैं मृगांक को समझा दं कि युद्ध में मत जाओ और इस प्रस्ताव को स्वीकार मत करो, समाप्त कर दो। फिर सोचा-मैं यह कहूंगा कि मृगांक तुम मत लड़ो तो लोगों को यह लगेगा कि यह कमजोर है इसलिए कुमार ने इसको रोक दिया। इसकी लघुता लगेगी, हलकापन लगेगा इसलिए इसे रोकना ठीक नहीं है। ___क्या रत्नचूल को रोकू, यह कहूं-रत्नचूल! अब रहने दो! क्यों लड़ते हो। जो होना था हो गया। उसको रोकू तो उसका बड़प्पन लगेगा। रत्नचूल शक्तिशाली है इसलिए उसे रोक रहा है कि कहीं यह मृगांक को मार न दे।
वारयामि मृगांकं चेद्, तद्बलस्यापि लाघवम्।
रत्नचूले निषिद्धेस्मिन्, अवश्यं स्यात्तद् गौरवम्।। ___ एक ओर लाघव, दूसरी ओर गौरव। मैं दोनों को रोक नहीं सकता। जम्बूकुमार ने कहा-जैसी आपकी इच्छा।' जम्बूकुमार मौन हो गये। न समर्थन किया और न निषेध। ___जम्बूकुमार ने देखा-दोनों में संघर्ष को रोकना संभव नहीं है। वह आगे बढ़ा। उसने रत्नचूल के बंधन खोल दिए।