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ही दिशा में जनता का प्रवाह चल रहा है। जम्बूकुमार ने एक व्यक्ति को आमंत्रित किया, पूछा-'आज क्या बात है? इतनी जल्दी लोग कहां जा रहे हैं?'
वह बोला-क्या आपको पता नहीं है? आज राजगृह में एक बड़े आचार्य आ रहे हैं।' 'कौन आ रहे हैं?'
'भगवान महावीर के पट्टधर शिष्य सुधर्मा स्वामी आ रहे हैं इसलिए सब लोग तैयारी में लगे हैं। सबकी भावना है-जल्दी तैयार होकर आचार्य सुधर्मा का दर्शन करें। उनका प्रवचन सुनें। इसीलिए हजारोंहजारों लोगों की गति उसी दिशा में हो रही है।'
जम्बूकुमार को इस सूचना से असीम तोष मिला। जैसे कोई गर्म से तपा हुआ आदमी हो, एकदम कोई ठंडा वृक्ष आ जाये, ठंडी शीतल छाया मिल जाये, ऐसी शांति की अनुभूति होने लगी। ___ जम्बूकुमार ने सोचा-सुधर्मा स्वामी मेरे गुरु हैं। उनका आगमन मेरे लिए श्रेयस्कर है। सचमुच मेरा भाग्योदय हो रहा है। आज रात्रि में मैंने सोचा मैं आत्मोपलब्धि करूं और प्रातः उसका रास्ता मिल गया। अब मुझे कहीं जाना ही नहीं पड़ेगा। ___ अनेक बार हम सोचते हैं कि अमुक व्यक्ति से बात करनी है या कुछ काम है। वह व्यक्ति कभी दो घंटा बाद आ जाता है, कभी एक घंटा में आ जाता है।
जिसके मन में जो कल्पना हो और वह कल्पना पूरी हो तो उसे बड़ा आनन्द का अनुभव होता है। जम्बूकुमार ने सोचा-सुधर्मा आ रहे हैं, मेरा भाग्योदय हो रहा है, सारे विघ्न समाप्त हो रहे हैं।
सूचना देने वाले आदमी को सम्मानपूर्वक विदा किया। उसने निश्चय किया मुझे भी जल्दी तैयार होना है और सुधर्मा स्वामी के पास जाना है। उनकी उपासना करना है, प्रवचन सुनना है।
इस निश्चय ने उसके हृदय में उत्साह और उल्लास का संचार किया। इस उत्साह और उल्लास का परिणाम क्या होगा? क्या जम्बूकुमार का संकल्प फलेगा?
गाथा परम विजय की
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