________________
1
गाथा परम विजय की
आदमी सोचता है कि मैं ऐसा वज्र का पिंजरा बना लूंगा, मौत उसको भेद नहीं पाएगी। वज्र के पिंजरे को कोई भेद नहीं सकता। वज्र सबको समाप्त कर देता है। इंद्र का वज्र जब बड़े-बड़े पहाड़ पर गिरता है तब पर्वत चूर-चूर हो जाते हैं। इतनी मजबूत धातु है वज्र । व्यक्ति सोचता है - मैं वज्र के पिंजरे में बैठ जाऊंगा । मौत आयेगी तो खाली हाथ चली जायेगी किन्तु ऐसा होता नहीं है। वज्र के पिंजरे में बैठा हुआ आदमी भी मौत को लौटा नहीं सकता ।
एक आदमी सोचता है—जब मौत आयेगी, मैं गाय बन जाऊंगा। मैं मुंह में तृण डाल कर कहूंगा - मैं तेरी गाय हूं। गाय को कोई नहीं मारेगा। किन्तु काल उसको भी नहीं छोड़ता क्योंकि वह समवर्ती है, सबके साथ समान व्यवहार करता है। निर्दय पौरुष बन नाच रहा है, किसी की बात नहीं सुनता।
कुछ लोग सोचते हैं कि मैं विद्या की साधना कर लूं। जब मौत आयेगी तो विद्या का ऐसा प्रयोग करूंगा कि मौत भाग जायेगी। कोई कितनी ही साधना कर ले, मौत को चुनौती नहीं दे सकता। न मंत्र काम देता, न विद्या काम देती और न कोई औषधि का सेवन काम देता।
राजर्षि भर्तृहरि की घटना विश्रुत है। भर्तृहरि के सामने दुर्लभ आम का फल आया। तपस्वी ने कहा-यह आम आप खा लें, अमर बन जाएंगे। वह आम महारानी, महावत और वेश्या के हाथों में होता हुआ पुनः राजा भर्तृहरि के पास पहुंच गया। इस घटना से वैराग्य का संवेग तीव्र बन गया।
न आम देने वाला अमर बना और न आम खाने वाला अमर बना। कोई अमर बना नहीं । कितनी औषधि खा लें, कोई अमर नहीं बनता । आज अनेक वैज्ञानिक इस खोज में लगे हुए हैं कि आदमी को अमर बना दें, वह मरे नहीं। आदमी को अमर बनाने का 'जीन' खोज करने वाले स्वयं मर रहे हैं।
आज विज्ञान के क्षेत्र में दो खोजें चल रही हैं-एक तो जरेन्टोलॉजी - बुढ़ापा न आये, आदमी बूढ़ा न बने। दूसरी खोज है-आदमी मरे नहीं। उसके लिए अनेक प्रक्रियाएं अपना रहे हैं। शीतीकरण की, हिमकरण की प्रक्रिया के द्वारा आदमी को जीते जी जमा दें, फिर ५-१० हजार वर्ष बाद जब चाहें तब उसको फिर से जीवित कर दें। अनेक प्रक्रियाएं चल रही हैं पर कोई भी अमर बना नहीं, बनेगा भी नहीं। और तो क्या ? देवताओं का नाम है अमर । वे भी मर जाते हैं।
सुरमनुत्तरसुराऽवधि यदति मेदुरम् । कालतस्तदपि न कलयति विरामम् ।।
देवताओं की इतनी लंबी अवधि है, वह भी समाप्त होती है। कोई बचता नहीं है। कुछ लोग देवता को वश में करने की बात सोचते हैं। क्या देवता अमरता का वरदान दे सकता है? देवता तो स्वयं मरता है, वह क्या बचा पायेगा?
आयुर्वेद में सबसे बड़ा उपाय माना है रसायन - यद् जराव्याधिविनाशनम् तद् रसायनम् - जो ज और व्याधि को नष्ट करता है उसका नाम है रसायन । च्यवन ऋषि ने च्यवनप्राश रसायन बनाया था। आज भी बहुत लोग शक्ति संवर्धन के लिए च्यवनप्राश खाते हैं। न च्यवन ऋषि अमर बने और न च्यवनप्राश खाने वाले अमर बने।
११३