Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana, Surendra Bothra, Purushottamsingh Sardar
Publisher: Padma Prakashan
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प्रथम अध्ययन : उत्क्षिप्त ज्ञात
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दोहद-निवेदन
सूत्र ३६. तए णं सा धारिणी देवी सेणिए णं रण्णा सवहसाविया समाणी सेणियं रायं एवं वदासी-‘एवं खलु सामी ! मम तस्स उरालस्स जाव महासुमिणस्स तिण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं अयमेयारूवे अकालमेहेसु दोहले पाउब्भूए-“धन्नाओ णं ताओ अम्मयाओ, कयत्थाओ णं ताओ अम्मयाओ, जाव वेभारगिरिपायमूलं आहिंडमाणीओ दोहलं विणिन्ति। तं जइ णं अहमवि जाव दोहलं विणिज्जामि। तए णं हं सामी ! अयमेयारूवंसि अकाल-दोहलंसि अविणिज्जमाणंसि ओलुग्गा जाव अट्टज्झाणोवगया झियायामि। एएणं अहं कारणेणं सामी ! ओलुग्गा जाव अट्टज्झाणोवगया झियायामि।
सूत्र ३६. राजा श्रेणिक द्वारा शपथ दिलाने पर धारिणी देवी बोलीं-“हे स्वामी ! मुझे वह महास्वप्न देखे लगभग तीन महीने बीत चले हैं। इधर मुझे अकाल-मेघ और वर्षाकाल में विचरण का दोहद उत्पन्न हुआ है (विस्तृत विवरण पूर्व समान)। मेरे मन में उठता है कि जो माताएँ यह दोहद पूर्ण करती हैं वे धन्य हैं, अतः मेरा भी यह दोहद पूर्ण हो तो मैं धन्य हो उढूँ। मेरी उदासी, दुर्बलता, चिन्ता और आर्तध्यान का यही कारण है।"
DOHAD REVEALED
36. After being put to an oath by King Shrenik, Queen Dharini said, “My Lord! Almost three months have passed since I saw the great dream. Recently I got a Dohad of seeing untimely clouds and roaming around enjoying the monsoon season (details as mentioned above). I have a feeling that those mothers who get such Dohad fulfilled are the blessed ones and, as such, if my Dohad is fulfilled I too will become one of them. This is the reason of my sadness, weakness, worry, and gloom."
सूत्र ३७. तए णं से सेणिए राया धारिणीए देवीए अंतिए एयमटुं सोच्चा णिसम्म धारिणिं देविं एवं वदासी-“मा णं तुमं देवाणुप्पिए ! ओलुग्गा जाव झियाहि, अहं णं तहा करिस्सामि जहा णं तुब्भं अयमेयारूवस्स अकालदोहलस्स मणोरहसंपत्ती भविस्सइ' त्ति कटु धारिणिं देविं इट्ठाहिं कंताहिं पियाहिं मणुन्नाहिं मणामाहिं वग्गूहि समासासेइ। __ समासासित्ता जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला तेणामेव उवागच्छइ। उवागच्छित्ता सीहासणवरगए पुरत्थाहिमुहे सन्निसन्ने। धारिणीए देवीए एयं अकालदोहलं बहूहिँ आएहिं य उवाएहिं य उप्पत्तियाहिं य वेणइयाहिं य कम्मियाहिं य पारिणामियाहिं य चउव्विहाहिं
ORATO
CHAPTER-1 : UTKSHIPTA JNATA
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