Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana, Surendra Bothra, Purushottamsingh Sardar
Publisher: Padma Prakashan

Previous | Next

Page 325
________________ पंचम अध्ययन :शैलक ( २७३) PATRO KRIT - M - तए णं से सेलए कल्लं जाव जलंते सभंडमत्तोवगरणमायाय पंथगपामोक्खेहिं पंचहिं अणगारसएहिं सद्धिं सेलगपुर-मणुपविसइ, अणुपविसित्ता जेणेव मंडुयस्स जाणसाला तेणेव उवागच्छइ। उवागच्छित्ता फासुयं पीढं जाव विहरइ। सूत्र ५६. शैलक अनगार ने 'ऐसा ही हो' कहकर मंडुक राजा के अनुरोध को स्वीकार कर लिया। राजा वन्दना करके लौट गया। दूसरे दिन सुबह होने पर शैलक अनगाार अपने पाँच सौ शिष्यों व पंथक के साथ नगर में गये और मंडुक राजा की यानशाला में पहुँच प्रासुक उपकरण स्वीकार कर रहने लगे। 56. Ascetic Shailak uttered—"May it be so", and accepted the request of king Manduk. The king returned after paying his respects. Next morning Ascetic Shailak and his five hundred disciples including Panthak entered the town, went to the kings garage and stayed there accepting things prescribed for an ascetic. सूत्र ५७. तए णं मंडुए राया चिगिच्छए सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी-"तुब्बे णं देवाणुप्पिया ! सेलयस्स फासुय-एसणिज्जेणं जाव तेगिच्छं आउटेह।" तए णं तेगिच्छया मंडुए णं रण्णा एवं वुत्ता समाषा हट्टतुट्ठा सेलयस्स रायरिसिस्स अहापवित्तेहिं ओसहभेसज्जभत्तपाणेहिं तेगिच्छं आउटेंति। मज्जपाणयं च से उवदिसंति। तए णं तस्स सेलयस्स अहापवित्तेहिं जाव मज्जपाणेणं रोगायके उवसंते होत्था, हड्ढे जाव बलियसरीरे जाए ववगयरोगायंके। सूत्र ५७. मंडुक राजा ने चिकित्सकों को बुलाकर कहा-“देवानुप्रियो ! शैलक मुनि की प्रासुक औषध आदि द्वारा उचित चिकित्सा करो।" राजा की आज्ञा सुन चिकित्सक कृतकृत्य हुए और आवश्यक औषध आदि सुझाई। साथ ही मद्यपान (नींद की औषधि) लेने को भी कहा। चिकित्सकों के मतानुसार चिकित्सा करने से शैलक राजर्षि का रोग शान्त हो गया। वे स्वस्थ निरोग और बलवान् हो गये। 57. King Manduk called the doctors and said, “Beloved of gods! Start proper treatment of Ascetic Shailak with medicines (etc. ) that are acceptable to ascetics." The doctors felt honoured ty getting this order from the king and prescribed suitable medicines. They also advised the ascetic to take sedatives. The treatment cured Ascetic Shailak and he became disease free, healthy and strong. BARAO CHAPTER-5: SHAILAK (273) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470 471 472 473 474 475 476 477 478 479 480 481 482 483 484 485 486 487 488 489 490 491 492