Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana, Surendra Bothra, Purushottamsingh Sardar
Publisher: Padma Prakashan

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Page 479
________________ आठवाँ अध्ययन : मल्ली ( ४०९) सूत्र १६१. अर्हत् मल्ली जब दीक्षा ग्रहण करने के लिए निकले तब कई देव मिथिला नगरी को स्वच्छ करने में व्यस्त हो गये (इसका वर्णन राजप्रश्नीयसूत्र में सूर्याभदेव के वर्णन में विस्तार से मिलता है)। ____161. When Arhat Malli set out for getting initiated, many gods were busy cleaning the town of Mithila. (Detailed description available in the Raj-prashniya Sutra). दीक्षा ___ सूत्र १६२. तए णं मल्ली अरहा जेणेव सहस्संबवणे उज्जाणे, जेणेव असोगवरपायवे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सीयाओ पच्चोरुहइ, पच्चोरुहित्ता आभरणालंकारं ओमुयइ। तए णं पभावती हंसलक्खणेणं पडसाडएणं आभरणालंकारं पडिच्छइ। __सूत्र १६२. अर्हत् मल्ली सहस्राम्रवन उद्यान में श्रेष्ठ अशोकवृक्ष के नीचे आकर पालकी से उतरे। उन्होंने समस्त वस्त्राभूषणों का त्याग किया और प्रभावती देवी ने सब ले लिये। INITIATION ____162. When the palanquin reached under a great Ashoka tree in the Sahasramravan garden Arhat Malli got down from it. She took out all the ornaments and Queen Prabhavati collected these. __ सूत्र १६३. तए णं मल्ली अरहा सयमेव पंचमुट्ठियं लोयं करेइ। तए णं सक्के देविंदे देवराया मल्लिस्स केसे पडिच्छइ। पडिच्छित्ता खीरोदगसमुद्दे पक्खिवइ। तए णं मल्ली अरहा ‘णमोऽत्थु णं सिद्धाणं' ति कटु सामाइयचरित्तं पडिवज्जइ। सूत्र १६३. इसके बाद अर्हत् मल्ली ने अपने आप पंचमुष्टिक लोच किया और शक्रेन्द्र ने उन केशों को लेकर क्षीर सागर में प्रवाहित कर दिया। अर्हत् मल्ली ने 'नमोत्थुणं सिद्धाणं' का उच्चारण कर सिद्धों को नमस्कार कर सामायिक चारित्र अंगीकार कर लिया। ____163. After this, Arhat Malli pulled out all her hair (the five fistful pulling out of hair). The Shakrendra collected these hair and immersed them in the ocean of milk. Arhat Malli uttered *Namotthunam Siddhanam' as salutation to the liberated souls and took the vow of the conduct of equanimity. सूत्र १६४. जं समयं च णं मल्ली अरहा चरित्तं पडिवज्जइ, तं समयं च देवाण मणुस्साण य णिग्घोसे तुरिय-णिणाय-गीत-वाइयनिग्घोसे य सक्कस्स वयणसंदेसेणं णिलुक्के OMO BIDO STARRAO CHAPTER-8 : MALLI (409) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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