Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana, Surendra Bothra, Purushottamsingh Sardar
Publisher: Padma Prakashan

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Page 478
________________ ( ४०८) ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र 440mA सजा by Ishanendra. The lower arm of the north facing side was held by Chamarendra. The lower arm of the south facing side was held by Bali. The remaining gods held the palanquin at different suitable points. सूत्र १५९. पुव्विं उक्खित्ता माणुस्सेहिं, तो हट्ठरोमकूवेहि। पच्छा वहति सीयं, असुरिंदसुरिंदनागेंदा॥१॥ चलचवलकुंडलधरा, सच्छंदविउव्वियाभरणधारी। देविंद-दाणविंदा, वहन्ति सीयं जिणिंदस्स ॥२॥ सूत्र १५९. सबसे पहले वह पालकी मनुष्यों ने उठाई और उनके रोम हर्ष से पुलक उठे। उसके बाद असुरेन्द्रों, सुरेन्द्रों और नागेन्द्रों ने उठाया। डोलते चपल कुण्डलों को धारण करने वाले और अपनी इच्छानुसार विक्रिया से बनाये आभरणों को धारण करने वाले देवेन्द्रों और दानवेन्द्रों ने जिनेन्द्र की पालकी उठायी। 159. As is said—“This palanquin was first of all lifted by human beings and every pore of their body was filled with joy. After them, it was lifted by the Kings of demons, gods and serpents. The kings of gods and demons, who wear dangling earrings and dresses created by divine process just by wishing for them, lifted the palanquin of the Jinendra, the conqueror of the senses सूत्र १६०. तए णं मल्लिस्स अरहओ मणोरमं सीयं दुरूढस्स इमे अट्ठमंगलगा अहाणुपुव्वीए एवं निग्गमो जहा जमालिस्स। सूत्र १६०. अर्हत् मल्ली जब मनोरमा पालकी पर आरूढ़ हो गए उस समय उनके आगे अष्ट मंगल अनुक्रम से चले। अर्हत् मल्ली के महाभिनिष्क्रमण का विस्तृत वर्णन जमाली के निर्गमन (भगवती सूत्र), अथवा मेघकुमार (प्रथम अध्ययन) के समान ही है। ____160. When Arhat Malli ascended the palanquin eight auspicious things were carried ahead of her in proper sequence. The detailed description of the great renunciation of Arhat Malli is same as that of Jamali (Bhagavati Sutra) or Meghkumar (first chapter of this book). सूत्र १६१. तए णं मल्लिस्स अरहओ निक्खममाणस्स अप्पेइगया देवा मिहिलं रायहाणिं अभिंतर-बाहिरं आसियसंमज्जिय-संमट्ठ-सुइ-रत्यंतरावणवीहियं करेंति जाव परिधावंति। caro Pain (408) JNATA DHARMA KATHANGA SUTRA Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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