Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana, Surendra Bothra, Purushottamsingh Sardar
Publisher: Padma Prakashan

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Page 477
________________ आठवाँ अध्ययन : मल्ली सूत्र १५६. तए णं मल्ली अरहा सीहासणाओ अब्भुट्ठेइ, अब्भुट्ठित्ता जेणेव मणोरमा सीया तेणेव उचागच्छइ, उवागच्छित्ता मणोरमं सीयं अणुपयाहिणी करेमाणा मणोरमं सीयं दुरूहइ। दुरूहित्ता सीहासणवरगए पुरत्थाभिमुहे सन्निसन्ने । सूत्र १५६. अर्हत् मल्ली सिंहासन से उठे और पालकी के पास आकर उसकी प्रदक्षिणा कर उसमें चढ़कर पूर्व दिशा की ओर मुँह करके सिंहासन पर बैठ गये । 156. Arhat Malli got up from the throne, reached near the palanquin and went around it three times before ascending it and sitting facing east. ( ४०७ ) OREO सूत्र १५७. तए णं कुंभए राया अट्ठारस सेणिप्पसेणीओ सद्दावेइ । सद्दावित्ता एवं वयासी - " तुभे णं देवाणुप्पिया ! व्हाया जाव सव्वालंकार - विभूसिया मल्लिस्स सीयं परिवहह । " तेवि जाव परिवहति । सूत्र १५७. फिर राजा कुंभ ने अठारह जाति-उपजाति के लोगों को बुलवाकर कहा"हे देवानुप्रियो ! तुम लोग स्नानादि कर्मों से निपटकर सब प्रकार के आभूषण पहनकर अर्हत् मल्ली की पालकी उठाओ।" उन्होंने राजाज्ञा का पालन किया । 157. King Kumbh called people from all the eighteen castes and sub-castes and said, "Beloved of gods! Take your bath and get ready donning suitable dresses. After this, come and lift the palanquin of Arhat Malli.” They followed the king's order. महाभिनिष्क्रमण सूत्र १५८. तए णं सक्के देविंदे देवराया मणोरमाए दक्खिणिल्लं उवरिल्लं बाहं गेहइ, ईसाणे उत्तरिल्लं उवरिल्लं बाहं गेण्हइ, चमरे दाहिणिल्लं हेट्ठिल्लं, बली उत्तरिल्लं हेल्लं । अवसेसा देवा जहारिहं मणोरमं सीयं परिवहति । सूत्र १५८. उस मनोरमा पालकी की दक्षिण दिशा की ऊपरी बाँह शक्रेन्द्र ने पकड़ी, उत्तर दिशा की ऊपरी बाँह ईशानेन्द्र ने दक्षिण दिशा की निचली चमरेन्द्र ने और उत्तर दिशा की निचली वली ने पकड़ी। शेष देवों ने यथोचित स्थानों पर से उस पालंकी को पकड़ा। Opinyo THE GREAT RENUNCIATION 158. The upper arm of the south facing side of the palanquin was held by Shakrendra. The upper arm of the north facing side was held CHAPTER-8: MALLI Jain Education International For Private Personal Use Only (407) www.jainelibrary.org

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