Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana, Surendra Bothra, Purushottamsingh Sardar
Publisher: Padma Prakashan

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Page 368
________________ (E ( ३०६ ) ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र - - - - रोहिणीः मुखिया सत्र २३. रोहिणिया वि एवं चेव। नवरं-"तुब्भे ताओ ! मम सुबहुयं सगडीसागडं दलाहि, जेण अहं तुब्भं ते पंच सालिअक्खए पडिनिज्जाएमि।" तए णं से धण्णे सत्थवाहे रोहिणिं एवं वयासी-“कहं णं तुम मम पुत्ता ! ते पंच सालिअक्खए सगडसागडेणं निज्जाइस्ससि ?" ___ तए णं सा रोहिणी धण्णं एवं वयासी-“एवं खलु ताओ ! इओ तुब्भे पंचमे संवच्छरे इमस्स मित्त जाव बहवे कुंभसया जाया, तेणेव कमेणं। एवं खलु ताओ। तुब्भे ते पंच सालिअक्खए सगडसागडेणं निज्जाएमि।" सूत्र २३. इसी तरह जब धन्य सार्थवाह ने रोहिणी से पाँच दाने माँगे तो उसने कहा"तात ! आप मुझे बहुत से गाड़े-गाड़ियाँ दीजिये जिससे मैं आपके वे पाँच दाने लौटा सकूँ।" धन्य-“पुत्री ! तुम वे पाँच दाने चावल गाड़े-गाड़ियों में भरकर कैसे दोगी ?" रोहिणी-"तात ! जो पाँच दाने आपने पाँच वर्ष पूर्व मुझे दिये थे वे अब सैकड़ों घड़ों में आवें इतने हो गये हैं।" उसने उन दानों की बुवाई आदि का वर्णन विस्तार से बताया (पूर्व सम) और कहा-“अतः हे तात ! मैं आपके वे पाँच दाने अब गाड़े-गाड़ियों में भरकर लौटा रही हूँ।" ROHINI: THE CHIEF 23. Similarly when Dhanya Merchant asked for five grains from Rohini, she replied, "Papa! Please arrange for numerous carts and trucks so that I may return your five grains of rice." ____Dhanya Merchant, “Daughter! Why do you need carts and trucks to fill those five grains?" Rohini, “Papa! The five grains you had given me five years back have now become enough to fill hundreds of pitchers.” She narrated the details of repeated sowing and harvesting of those five grains (details as before), and added, “This is how I am returning your five grains in carts and trucks." सूत्र २४. तए णं से धण्णे सत्थवाहे रोहिणीयाए सुबहुयं सगडसागडं दलयइ, तए णं रोहिणी सुबहुसगडसागडं गहाय जेणेव सए कुलघरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता कोट्ठागारे विहाडेइ, विहाडित्ता पल्ले उभिदइ, उभिदित्ता सगडीसागडं भरेइ, भरित्ता रायगिहं नगरं मझमज्झेणं जेणेव सए गिहे जेणेव धण्णे सत्थवाहे तेणेव उवागच्छइ। Cro Ouro RDHA RAMONOMICRETAandolasite A n 8AHI (306) JNĀTĀ DHARMA KATHĀNGA SUTRA Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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