Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana, Surendra Bothra, Purushottamsingh Sardar
Publisher: Padma Prakashan

Previous | Next

Page 431
________________ आठवाँ अध्ययन : मल्ली ( ३६३) आया। हाथी पर से उतरकर पुष्प-मंडप में प्रवेश किया और पूर्व दिशा की ओर मुख कर श्रेष्ठ सिंहासन पर बैठ गया। 75. King Rukmi rode the best of his elephants and accompanied by the regiment of guards, his relatives, and all his regalia with princess Subahu in front, came to the flower-pavilion raised at the centre of the highway. He got down from the elephant, entered the pavilion and sat on the royal throne facing east. सूत्र ७६. तओ णं ताओ अंतेउरियाओ सुबाहुँ दारियं पट्टयंसि दुरूहेंति। दुरूहित्ता सेयपीयएहिं कलसेहिं पहाणेति, पहाणित्ता सव्वालंकारविभूसियं करेंति, करित्ता पिउणो पायं वंदिउं उवणेति। तए णं सुबाहू दारिया जेणेव रुप्पी राया तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता पायग्गहणं करेइ। तए णं से रुप्पी राया सुबाहुं दारियं अंके निवेसेइ, निवेसित्ता सुबाहुए दारियाए रूवेण य जोव्वणेण य लावण्णेण य जायविम्हए वरिसधरं सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी-“तुमं णं देवाणुप्पिया ! मम दोच्चेणं बहूणि गामागरनगर जाव सण्णिवेसाई आहडिंसि, बहूण य राईसर जाव सत्थवाहपभिईणं गिहाणि अणुपविससि, तं अत्थियाई से कस्सइ रण्णो वा ईसरस्स वा कहिंचि एयारिसए मज्जणए दिद्वपुव्वे, जारिसए णं इमीसे सुबाहुदारियाए मज्जणए?'' सूत्र ७६. अंतःपुर की महिलाओं ने सुबाहुकुमारी को उस पाट पर आसीन किया और चाँदी व सोने के कलशों में भरे पानी से उसे स्नान कराया। वस्त्रालंकारों से सज्जित कर वे उसे अपने पिता के चरणों में प्रणाम करने के लिए लाईं। सुबाहुकुमारी ने पिता के निकट पहुँच उनके चरणों का स्पर्श किया। रुक्मि राजा ने अपनी पुत्री को गोद में बिठा लिया और उसके रूप, यौवन और लावण्य को देख विस्मित हुए। उन्होंने अन्तःपुर के वरिष्ठ रक्षक को बुलाकर पूछा-“हे देवानुप्रिय ! तुम मेरे दूत के रूप में अनेक ग्रामादि में जाते हो। क्या तुमने किसी राजा या जागीरदार के यहाँ ऐसा म्नानोत्सव इससे पहले भी कहीं देखा है ?" 76. The ladies from the palace seated the princess on the platform and helped her bathe with water filled in pitchers made of gold and silver. They also helped her dress and then took her to her father to touch his feet. When the princess reached near her father she bowed down and touched his feet. King Rukmi made her sit in his lap and was astonished to see her beauty, youth and charm. He called the I xका CHAPTER-8 : MALLI (363) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470 471 472 473 474 475 476 477 478 479 480 481 482 483 484 485 486 487 488 489 490 491 492