Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana, Surendra Bothra, Purushottamsingh Sardar
Publisher: Padma Prakashan

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Page 430
________________ ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र ( ३६२ ) CTara - - देवाणुप्पिया ! सुबाहूए दारियाए कल्लं चाउम्मासियमज्जणए भविस्सइ, तं कल्लं तुब्भे णं रायमग्गमोगाढंसि चउक्कंसि जलथलयदसद्धवण्णमल्लं साहरेह, जाव ओलइंति। ___ सूत्र ७३. राजा रुक्मि ने उस अवसर पर अपने सेवकों को बुलाकर कहा-"हे देवानुप्रियो ! कल कुमारी सुबाहु के चातुर्मासिक स्नान का उत्सव है। अतः तुम जल-थल के पंचरंगे फूल लाओ और राजमार्ग के बीच चौक में उन फूलों की मालाओं का सुगंधित गजरा लटकाओ।" सेवकों ने राजाज्ञा के अनुसार कार्य सम्पन्न किया। 73. On that occasion King Rukmi called his staff and said, “Beloved of gods! Tomorrow is the annual bathing ceremony of princess Subahu. As such, bring multi-coloured flowers from land and water and decorate the central square on the highway with intwined garlands of these flowers.” The attendants carried out the order. सूत्र ७४. तए णं रुप्पी कुणालाहिवई सुवन्नगारसेणिं सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी-"खिप्पामेव भो देवाणप्पिया ! रायमग्गमोगाढंसि पृष्फमंडवंसि णाणाविह पंचवण्णेहिं तंदुलेहिं णगरं आलिहह। तस्स बहुमज्झदेसभाए पट्टयं रएह।" रएत्ता जाव पच्चप्पिणंति। सूत्र ७४. इसके पश्चात् राजा रुक्मि ने स्वर्णकारों-सुनारों के संघ को बुलाकर कहा"हे देवनुप्रियो ! जल्दी ही राजमार्ग के बीच बनाये पुष्प-मंडप में तरह-तरह के पंचरंगे चावलों से नगर का चित्र बनाओ और उसके बीच में एक पाट रखो।'' सुनार संघ ने आज्ञा के अनुसार कार्य सम्पन्न कर दिया। 74. King Rukmi now called the guild of goldsmiths and said, "Beloved of gods! Go and prepare a model of the city with multicoloured rice in the flower-pavilion raised at the centre of the highway At the centre of the model erect a platform." The guild of goldsmiths carried out the order. सूत्र ७५. तए णं से रुप्पी कुणालाहिवई हत्थिखंधवरगए चाउरंगिणीए सेणाए महया भड-चडकर-रह-पहकरविंद-परिक्खित्ते अंतेउरपरियालसंपरिबुडे सुबाहुं दारियं पुरओ कटु जेणेव रायमग्गे, जेणेव पुप्फमंडवे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता हत्थिखंधाओ पच्चोरुहइ, पच्चोरुहित्ता पुप्फमंडवं अणुपविसइ, अणुपविसित्ता सीहासणवरगए पुरत्थाभिमुहे सन्निसन्ने। सूत्र ७५. राजा रुक्मि तब श्रेष्ठ हाथी पर सवार हो अपनी चतुरंगिनी सेना, स्वजनों तथा वैभव सहित कुमारी सुबाहु को आगे कर राजमार्ग के मध्य बने पुष्प-मंडप के पास - - a . (362) JNATA DHARMA KATHANGA SUTRA Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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