Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana, Surendra Bothra, Purushottamsingh Sardar
Publisher: Padma Prakashan

Previous | Next

Page 440
________________ ( ३७२ ) this portrait he was taken aback, “My god! this is Princess Malli ?” Ashamed of himself he started retracing his steps. मल्ली नहीं ! चित्र सूत्र ९२. तए णं मल्लदिन्नं अम्मधाई पच्चोसक्कतं पासित्ता एवं वयासी - "किं णं तुम पुत्ता ! लज्जिए वीडिए विअडे सणियं सणियं पच्चोसक्कइ ?' तए णं से मल्लदिन्ने अम्मधाई एवं वयासी - " जुत्तं णं अम्मो ! मम जेट्ठाए भगिणीए गुरुदेव भूयाए लज्जणिज्जाए मम चित्तगरणिव्वत्तियं सभं अणुपविसित्तए ? ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र सूत्र ९२. कुमार को इस प्रकार हटते हुए देख उसकी धायमाता ने कहा - " हे पुत्र ! तुम लज्जा से धीरे-धीरे हट क्यों रहो हो ?" कुमार ने उत्तर दिया- "माता ! मेरी गुरु और देवता समान बड़ी बहन के सामने चित्रकारों द्वारा बनाई इस सभा में प्रवेश करते क्या मुझे लज्जित नहीं होना चाहिये ?" A PORTRAIT, NOT MALLI! 92. When his governess saw him moving away from there she asked, "Son! what makes you move away from this spot as if you are ashamed of something?" The prince replied, "Mother! Should I not be ashamed of entering this art gallery decorated with such candid paintings, in presence of my revered and respected elder sister?" सूत्र ९३. तए णं अम्मधाई मल्लदिने कुमारे एवं वयासी - "नो खलु पुत्ता ! एस मल्ली विदेह-वररायकन्ना चित्तगरएणं तयाणुरूवे निव्वत्तिए । " तए णं मल्लदिन्ने कुमारे अम्मधाईए एयमट्ठ सोच्चा णिसम्म आसुरुते एवं वयासी"केस णं भो ! चित्तयरए अप्पत्थियपत्थिए जाव परिवज्जिए जेण ममं जेट्टाए भगिणीए गुरुदेवभूयाए जाव निव्वत्तिए ?" त्ति कट्टु तं चित्तगरं वज्झं आणवे । सूत्र ९३. धायमाता ने बताया - " हे पुत्र ! यह सदेह मल्लीकुमारी नहीं है अपितु चित्रकार ने उसकी जीवन्त अनुकृति चित्रित की है। धामाता की यह बात सुनकर मल्लदिन कुमार क्रुद्ध होकर बोला- “ मृत्यु की इच्छा रखने वाला वह दुर्बुद्धि चित्रकार कौन है जिसने देव गुरु समान मेरी बड़ी बहन का यह चित्र बनाया है ?" और उसने उस चित्रकार का वध करने की आज्ञा दे दी। Jain Education International 93. The governess explained, "Son ! this is not Princess Malli but just a unique life like portrait of the princess." (372) For Private JNATA DHARMA KATHANGA SUTRA Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470 471 472 473 474 475 476 477 478 479 480 481 482 483 484 485 486 487 488 489 490 491 492