Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana, Surendra Bothra, Purushottamsingh Sardar
Publisher: Padma Prakashan

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Page 450
________________ ( ३८२) ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र Coama> Omes MERO AIIMa लाख “णो इणद्वे सभटे, महालए णं से समुद्दे।" तए णं से कूवददुरे पुरच्छिमिल्लाओ तीराओ उप्फिडित्ताणं गच्छइ, गच्छित्ता एवं वयासी-“एमहालए णं देवाणुप्पिया ! से समुद्दे ?" “णो इणढे समढे।" तहेव। सूत्र ११0. चोक्खा मुस्कराई और बोली-“देवानुप्रिय ! तुम्हारे इन वचनों से तुम कूपमंडूक जैसे जान पड़ते हो।" राजा-“देवानुप्रिये ! कैसा कूपमंडूक ?" चोक्खा-“जितशत्रु ! किसी कुएँ में एक कुएँ का मेंढक था। वह उसी कुएँ में पैदा और बड़ा हुआ था। उसने अन्य कोई कुआँ, तालाब, झील, सरोवर या समुद्र नहीं देखा था। इसलिये उसकी धारणा थी कि यही कुआँ है और यही सागर, इसके अतिरिक्त कुछ भी नहीं है। एक दिन उस कुएँ में अचानक एक समुद्री मेंढक आ गया। कुएँ के मेंढक ने उससे पूछा-'तुम कौन हो और अचानक कहाँ से आ गए ?' "समुद्री मेंढक-'देवानुप्रिय ! मैं समुद्र का मेंढक हूँ।' "कूपमंडूक-'देवानुप्रिय ! यह समुद्र कितना बड़ा है ?' “समुद्री मेंढक-‘समुद्र बहुत बड़ा है।' "कूपमंडूक ने अपने पैर से एक रेखा खींची और बोला-'क्या इतना बड़ा है?' “समुद्री मेंढक-'नहीं, इससे बहुत बड़ा।' "तब कूपमंडूक पूर्व दिशा के छोर से कूदकर कुछ दूर गया और पूछा-'वह समुद्र क्या इतना बड़ा है?' “समुद्री मेंढक-'नहीं, इससे बहुत बड़ा।' "कूपमंडूक इसी प्रकार अपनी कूद की दूरी बढ़ाकर पूछता रहा और समुद्री मेंढक हर बार उसे वही उत्तर देता रहा। A WELL-FROG 110. Chokkha smiled and said, "Beloved of gods ! Your statement gives an impression that you are as ignorant as a frog in a well." King, “Beloved of gods! what is a frog in a well?" Chokkha, “Jitshatru ! There lived a frog in a well. It was born in that well and grew up there only. It had not seen any other well, pond, ago @ANTRA SSETTE COM JNATA DHARMA KATHANGA SUTRA Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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