Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana, Surendra Bothra, Purushottamsingh Sardar
Publisher: Padma Prakashan

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Page 469
________________ आठवाँ अध्ययन : मल्ली ( ३९९) S Obreme सूत्र १४0. एवं संपेहेइ, संपेहित्ता वेसमणं देवं सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी-' “एवं खलु देवाणुप्पिया ! जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे जाव असीइं च सयसहस्साई दलइत्तए, तं गच्छह णं देवाणुप्पिया ! जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे कुंभगभवणंसि इमेयारूवं अत्थसंपयाणं साहराहि, साहरित्ता खिप्पामेव मम एयमाणत्तियं पच्चप्पिणाहि।" सूत्र १४0. यह विचार आने पर शकेन्द्र ने वैश्रमण (कुबेर) देव को बुलवाया और कहा- "देवानुप्रिय ! जम्बूद्वीप में अर्हत मल्ली ने दीक्षा लेने का निश्चय किया है अतः परम्परानुसार उन्हें प्रचुर धन उपलब्ध कराना चाहिए। तुम जाओ और नियमानुसार द्रव्य राजा कुम्भ के महल में पहुँचाकर मुझे सूचना दो।" 140. Shakrendra now called Vaishraman (Kuber, the god of wealth) and said, “Beloved of gods ! In the Jambu continent Arhat Malli has resolved to get initiated. So, according to the tradition she should be provided with heaps of wealth. Please go and deliver the traditionally prescribed sum at the palace and report back.” सूत्र १४१. तए णं से वेसमणे देवे सक्केणं देविदेणं देवरन्ना एवं वुत्ते समाणे हद्वतढे करयल जाव पडिसुणेइ, पडिसुणित्ता जंभए देवे सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी"गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! जंबुद्दीवं दीवं भारहं वासं मिहिलं रायहाणिं, कुंभगस्स रण्णो भवणंसि तिन्नेव य कोडिसया, अट्ठासीयं च कोडीओ असीइं च सयसहस्साई अयमेयारूवं अत्थसंपयाणं साहरह, साहरित्ता मम एयमाणत्तियं पच्चप्पिणह।" __ सूत्र १४१. वैश्रमण ने हर्षित हो, हाथ जोड़ शक्रेन्द्र की आज्ञा स्वीकार की और अपने आधीन जंभक देवों को बुलाकर कहा-“देवानप्रियो ! जम्बूद्वीप के भारतवर्ष की मिथिला नगरी में जाओ और वहाँ के राजा कुंभ के महल में तीन अरब अट्ठासी करोड़ अस्सी लाख सुवर्ण-मुद्रायें पहुँचाकर मुझे सूचित करो।" ____141. Vaishraman was pleased to accept this order from Shakrendra, standing before him with joined palms. He called his subordinate Jrimbhak gods and instructed, “Beloved of gods ? Go to Mithila city in Bharatvarsh in the Jambu continent and deliver three billion eight hundred eighty eight million gold coins and report back to me." सूत्र १४२. तए णं ते जंभगा देवा वेसमणेणं जाव पडिसुणेत्ता उत्तर-पुरच्छिमं दिसीभागं अवक्कमंति, अवक्कमित्ता जाव उत्तरवेउब्वियाई रूवाइं विउव्वंति, विउव्वित्ता ताए उक्किट्ठाए जाव वीइवयमाणा जेणेव जंबुद्दीवे दीवे, भारहे वासे, जेणेव मिहिला HTRA sesamasumanT - - - CHAPTER-STMALLI TV Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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