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आठवाँ अध्ययन : मल्ली
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सूत्र ११५. तए णं से कुंभए राया तेसिं दूयाणं अंतिए एयम8 सोच्चा आसुरुत्ते जाव तिवलियं भिउडिं णिडाले साहटु एवं वयासी-“न देमि णं अहं तुब्भं मल्लिं विदेहरायवरकन्नं" ति कटु ते छप्पि दूते असक्कारिय असंमाणिय अवदारेणं णिच्छुभावेइ।
सूत्र ११५. राजा कुंभ दूतों की बातें सुन क्रोध से लाल हो गया और भृकुटी तानकर कहा-“कुमारी मल्ली के लिए तुम में से किसी का भी प्रस्ताव मुझे स्वीकार नहीं है।" और उसने दूतों का बिना यथोचित सत्कार-सम्मान के पिछले दरवाजे से निकाल दिया।
115. These marriage proposals irritated King Kumbh and he burned with anger. Frowning he said, “None of these proposals for Princess Malli is acceptable to me." And he dismissed the emissaries disgracefully through the rear gate.
सूत्र ११६. तए णं जियसत्तुपामोक्खाणं छहं राईणं दूया कुंभएणं रण्णा असक्कारिया असम्माणिया अवदारेणं निच्छुभाविया समाणा जेणेव सगा सगा जणवया, जेणेव सयाइं सयाई णगराइं जेणेव सगा सगा रायाणो तेणेव उवागच्छंति। उवागच्छित्ता करयलपरिग्गहियं एवं वयासी___ "एवं खलु सामी ! अम्हे जियसत्तुपामोक्खाणं छण्हं राईणं दूया जमगसमगं चेव जेणेव मिहिला जाव अवद्दारेणं निच्छुभावेइ, तं न देइ णं सामी ! कुंभए राया मल्लिं विदेहरायवरकन्नं, साणं साणं राईणं एयमढें निवेदेति।
सूत्र ११६. राजा कुम्भ द्वारा असत्कारित, असम्मानित और निष्कासित वे दूत अपने-अपने राजाओं के पास वापस लौटे और हाथ जोड़कर बोले-“हे स्वामी ! जितशत्रु आदि छह राजाओं के हम दूत एक साथ ही मिथिला नगरी पहुँचे। किन्तु राजा कुम्भ ने हमारा अनादर कर हमें निकाल दिया। अतः हे स्वामी ! कुंभ राजा ने आपका विवाह प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया है।"
116. Disgraced, slighted and summarily dismissed the six emissaries returned to their masters and with joined palms submitted, "Sire ! We, all the six emissaries from different kings, reached Mithila at the same time and went to King Kumbh with the marriage proposals. But the king summarily dismissed us. Thus, sire! King Kumbh has rejected your marriage proposal.” युद्ध की तैयारी
सूत्र ११७. तए णं ते जियसत्तुपामोक्खा छप्पि रायाणो तेसिं दूयाणं अंतिए एयमटुं सोच्चा निसम्म आसुरुत्ता अण्णमणस्स दूयसंपेसणं करेंति, करित्ता एवं वयासी
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/ CHAPTER-8 : MALLI
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